प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाते हुए सोमवार को कहा कि यह पार्टी देश पर ‘माओवादी सोच’ थोपकर जनता की कमाई पर कब्जा करना चाहती है और उसके शासन में माताओं और बहिनों का मंगलसूत्र तक सलामत नहीं रहेगा। प्रधानमंत्री ‘ताला नगरी’ अलीगढ़ में भाजपा प्रत्याशी सतीश गौतम और हाथरस से पार्टी उम्मीदवार अनूप वाल्मीकि के समर्थन में आयोजित जनसभा को संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कांग्रेस और ‘इंडियन नैशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव अलायंस (इंडिया)’ पर बेहद गंभीर आरोप लगाते हुए कहा, ‘मैं देशवासियों को आगाह करना चाहता हूं कि कांग्रेस और उसके गठबंधन की नजर अब आपकी कमाई और संपत्ति पर है।
कांग्रेस के शहजादे (पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी) का कहना है कि उनकी सरकार आई तो कौन कितना कमाता है, किसके पास कितनी संपत्ति है, उसकी जांच करेंगे। इतना ही नहीं, वह कहते हैं कि यह जो संपत्ति है उसको सरकार अपने कब्जे में लेकर सबको बांट देगी। यह उनका चुनाव घोषणा पत्र कह रहा है।’
मोदी ने कहा, ‘आप सोचिए हमारी माताओं और बहिनों के पास सोना होता है। वह स्त्री धन होता है। उसे पवित्र माना जाता है। कानून भी उसकी रक्षा करता है लेकिन अब इनकी (कांग्रेस) नजर कानून बदलकर हमारी माताओं-बहिनों की संपत्ति छीनने पर है। उनके मंगलसूत्र पर इन लोगों की नजर है।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘वह सर्वे करना चाहते हैं कि जो नौकरी पेशा कर्मचारी हैं उनकी कितनी संपत्ति है। यह सर्वे कराकर कांग्रेस सरकार के नाम पर आपकी संपत्ति को छीन कर बांटने की बात कर रही है। कांग्रेस यहां तक जाएगी कि अगर आपके पास दो घर हैं तो एक घर छीन लेगी। यह माओवादी सोच है, यह कम्युनिस्टों की सोच है, ऐसा ही करके कितने ही देशों को वह बरबाद कर चुके हैं। अब यही नीति कांग्रेस पार्टी और इंडी अलायंस भारत में लागू करना चाहते हैं।’
प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया, ‘आपकी मेहनत की कमाई, आपकी संपत्ति पर कांग्रेस अपना पंजा मारना चाहती है। माताओं और बहिनों का मंगलसूत्र अब सलामत नहीं रहेगा। इन परिवारवादी लोगों ने देश के लोगों को लूटकर अपना साम्राज्य बना लिया है। अब उनकी नजर देश के लोगों की संपत्ति पर पड़ गई है। देश की संपत्ति को लूटना कांग्रेस अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझते हैं।’
मोदी ने विपक्ष पर राम मंदिर के निर्माण को 70 साल तक रोकने का भी आरोप लगाते हुए कहा, ‘यह हम सबके लिए कितनी गर्व की बात है कि 500 साल के बाद भव्य राम मंदिर हम देख रहे हैं और जब राम मंदिर की बात आती है तो उनकी नींद उड़ जाती है। उनको लगता है कि यह 70 साल तक हम रोक कर बैठे थे। यह मोदी क्या आ गया कि इतने साल में ही अदालत से फैसला भी आ गया। मंदिर बन भी गया। प्राण प्रतिष्ठा भी हो गई। रोज लाखों लोग आने भी लगे। अब उनकी नींद उड़ गई है और इसीलिए वह इतने गुस्से में हैं कि उन्होंने प्राण प्रतिष्ठा के निमंत्रण को ठुकरा दिया।’
मोदी ने कहा, ‘पिछली बार जब मैं अलीगढ़ आया था तब मैंने आप सबसे अनुरोध किया था कि सपा और कांग्रेस के परिवारवाद, भ्रष्टाचार और तुष्टीकरण की फैक्टरी में ताला लगा दीजिए और आपने ऐसा मजबूत ताला लगाया कि दोनों शहजादों (सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी) को आज तक इसकी चाबी नहीं मिल रही है।’
उन्होंने मतदाताओं से भाजपा के पक्ष में वोट की अपील करते हुए कहा, ‘मेरी आपसे प्रार्थना यह है कि अच्छे भविष्य की विकसित भारत की चाबी भी आप ही के पास है। देश को गरीबी से पूरी तरह मुक्त करने का समय आ गया है, अब देश को भ्रष्टाचार से पूरी तरह मुक्त करने का समय आ गया है, अब देश को परिवारवादी राजनीति से मुक्त करने का समय आ गया है।’
कांग्रेस ने सोमवार को निर्वाचन आयोग से आग्रह किया कि वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ ठोस कार्रवाई करे, क्योंकि उन्होंने ‘विभाजनकारी एवं दुर्भावनापूर्ण’ बयान देकर आचार संहिता का स्पष्ट रूप से उल्लंघन किया है। पार्टी के एक प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग पहुंचकर प्रधानमंत्री मोदी की टिप्पणी और कुछ अन्य विषयों पर शिकायतें कीं।
इस प्रतिनिधिमंडल में शामिल कांग्रेस नेता अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा, ‘हमने कुल 17 शिकायतें की हैं। ये सभी शिकायतें गंभीर हैं और देश के संविधान के मूल सिद्धांतों पर आघात करने वाली हैं। हम आशा करते हैं कि जल्द ठोस कदम उठाए जाएंगे।’
उन्होंने कहा, ‘प्रधानमंत्री को इस प्रकार का वक्तव्य नहीं देना चाहिए। उनके ‘एक्स’ हैंडल पर भी इस टिप्पणी को साझा किया गया है। मैं इसे नहीं दोहराऊंगा, क्योंकि यह भद्दा है। इसमें एक समुदाय का नाम लिया गया है। इसमें कहा गया है कि वह समुदाय संसाधनों को हड़प लेगा। उस समुदाय को घुसपैठिया बताया गया है। इसमें मंगल सूत्र की बात की गई है।’
सिंघवी ने आरोप लगाया, ‘प्रधानमंत्री ने जन प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 123 का उल्लंघन किया है। भारतीय संविधान की अस्मिता पर प्रहार किया गया है।’ उन्होंने कहा, ‘भारत, संविधान, प्रधानमंत्री के पद और निर्वाचन आयोग की विश्वसनीयता का सवाल है, जो आम आदमी के विषय में करते हैं, वो प्रतिबंध लगाना पड़ेगा, चाहे कोई व्यक्ति कितना ही बड़ा है, क्योंकि यह संवैधानिक अस्मिता का सवाल है।’