Lok Sabha Elections: रोहतक लोक सभा क्षेत्र (Rohtak Lok Sabha Seat) में इस बार का चुनावी मुकाबले पांच साल पहले जैसा ही है, जिसमें कांग्रेस के दीपेंद्र सिंह हुड्डा (Deependra Singh Hooda) को भारतीय जनता पार्टी (BJP) के अरविंद शर्मा ने महज 7,503 मतों से हरा दिया था।
दीपेंद्र की इस हार का मामूली अंतर साल 2019 के चुनावों में कांग्रेस के लिए एकमात्र उम्मीद की किरण थी। पार्टी उस साल हरियाणा की सभी दस सीटों पर भाजपा से हार गई थी।
आठ सीटों पर कांग्रेस (Congress) की हार का अंतर 3 लाख से अधिक वोटों का था, फरीदाबाद और करनाल में पार्टी को 6 लाख से ज्यादा वोटों से हार का सामना करना पड़ा था।
वहीं दूसरा करीबी मुकाबला सोनीपत में देखने को मिला था, जहां दीपेंद्र के पिता और हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भाजपा के रमेश चंद्र कौशिक ने 1.5 लाख से अधिक मतों से हराया था।
भाजपा और कांग्रेस के लिए इस साल का लोक सभा चुनाव हरियाणा में इसी साल अक्टूबर में होने वाले विधान सभा चुनाव के लिहाज से भी महत्त्वपूर्ण है। कांग्रेस को उम्मीद है कि वह रोहतक में बेहतरीन प्रदर्शन करेगी क्योंकि फिलहाल लोक सभा के तहत आने वाले नौ विधान सभा सीटों में से सात पर पार्टी के ही विधायक हैं। भाजपा के पास एक सीट है और महम सीट से निर्दलीय विधायक है।
शर्मा की अभियान रणनीति प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता का फायदा लेने के इर्द-गिर्द ही घूम रही है। दूसरी ओर, दीपेंद्र रोहतक के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में अपना योगदान गिना रहे हैं और राज्य की भाजपा सरकार के प्रति लोगों के बढ़ते रोष को दिखा रहे हैं, जिसमें मनोहर लाल खट्टर की जगह नायब सिंह सैनी को प्रदेश का नया मुख्यमंत्री बनाया गया है।
हुड्डा परिवार का राजनीतिक इतिहास रोहतक से ही जुड़ा हुआ है। दीपेंद्र ने भी अपने पिता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नक्शे कदम पर चलते हुए यहां से तीन बार सांसद का चुनाव जीता है जबकि उनके पिता चार बार यहां से लोक सभा गए हैं।
दीपेंद्र के दादा रणबीर सिंह हुड्डा भी साल 1952 और 1957 में यहां से सांसद थे। हरद्वारी लाल और पूर्व उप प्रधानमंत्री देवीलाल जैसे हरियाणा के अन्य राजनीतिक दिग्गज भी रोहतक से चुनाव जीत चुके हैं।