लोकसभा चुनाव

Lok Sabha Election 2024: सड़कों से ज्यादा चुनाव प्रचार सोशल मीडिया पर, क्रिएटर्स काट रहे चांदी

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सेवा देने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय एक कैमरामैन को हर दिन औसतन 5,000 रुपये दिये जा रहे हैं, जबकि आम दिनों में 3,000 रुपये ही मिलते हैं।

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सुशील मिश्र   
Last Updated- April 11, 2024 | 11:33 PM IST

कोई दौर था, जब सड़कें, गलियां और दीवारें चुनावी पोस्टरों, बैनरों और झंडों से पटी रहती थीं। मगर अब यह बीते कल की बात होती जा रही है। चुनाव आयोग की सख्ती और तकनीक की छलांग के कारण प्रत्याशी मतदाताओं को लुभाने के लिए सोशल मीडिया का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। यही वजह है कि फेसबुक, एक्स और दूसरे प्लेटफॉर्मों पर वीडियो, मीम्स और कार्टून के जरिये मत बटोरने की होड़ लगी है।

पिछले कुछ चुनावों में सोशल मीडिया की भूमिका देखकर राजनीतिक पार्टियां इसका जमकर इस्तेमाल कर रही हैं। बड़ी पार्टियों के तो आईटी प्रकोष्ठ और सोशल मीडिया सेल बन गए हैं। उम्मीदवार भी पेशेवरों की मदद ले रहे हैं, जिस कारण वीडियो एडिटर, कंटेंट राइटर, मिमिक्री कलाकार और सर्च इंजन ऑप्टिमाइजेशन (एसईओ) मैनेजरों की मांग बढ़ गई है। इस बार पॉलिटिकल इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का भी खूब इस्तेमाल हो रहा है, जिसमें अपनी खूबियां बताने की जगह विपक्षी की खामियां बताने पर ज्यादा जोर है। इसीलिए सोशल मीडिया पर काम करने वाले भी चांदी काट रहे होंगे।

क्रिएटर्स ग्राफी के प्रोपराइटर प्रवीण सिंह बताते हैं कि चुनाव की घोषणा के बाद से ही उनकी टीम सब उम्मीदवारों को कुछ अलग देने और कैमरे की कलाकारी के जरिये भीड़ दिखाने में जुटी है। चुनावी रैली के साथ ही सोशल मीडिया पर वायरल करने के लिए 30 से 90 सेकंड के क्लिप फौरन तैयार करने की ऐसी मांग आती है कि सांस लेने की भी फुरसत नहीं मिलती।

सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर सेवा देने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय एक कैमरामैन को हर दिन औसतन 5,000 रुपये दिये जा रहे हैं, जबकि आम दिनों में 3,000 रुपये ही मिलते हैं। एक क्लिप की एडिटिंग के लिए अब 1,500 रुपये की जगह 3,000 रुपये लिए जा रहे हैं। सोशल मीडिया पर क्लिप या पोस्ट ऊपर दिखाने के बदले एसईओ मैनेजर 3 से 8 लाख रुपये महीने तक ले रहा है।

सोशल मीडिया विश्लेषक संतोष शेट्टी कहते हैं कि इस बार सोशल मीडिया पर चर्चित रहने के लिए इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग का जमकर इस्तेमाल हो रहा है, जो एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप वाले वीडियो वायरल करते हैं। इन वीडिये पर व्यू, लाइक और कमेंट की संख्या के हिसाब से उन्हें भुगतान भी किया जा रहा है।

एक औसत इन्फ्लुएंसर को 80-90 हजार रुपये महीने मिल रहे हैं। क्षेत्रीय भाषा पर पोस्ट और उसी भाषा में जवाब देने के लिए भी भुगतान किया जा रहा है। चुनाव आयोग भी सोशल मीडिया का जमकर इस्तेमाल कर रहा है। फेसबुक, इंस्टाग्राम, एक्स, यूट्यूब, व्हाट्सऐप और लिंक्डइन समेत सभी प्रमुख प्लेटफॉर्मों पर उसकी मौजूदगी है, जिनके जरिये वह युवाओं को मतदान के लिए प्रेरित कर रहा है।

First Published : April 11, 2024 | 11:23 PM IST