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इलेक्टोरल बॉन्ड खरीदने में सबसे आगे कोलकाता की कंपनियां; बड़ी नहीं, छोटी फर्मों ने दिए सबसे ज्यादा चंदे

निर्वाचन आयोग द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भाजपा के बाद पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को चुनावी बॉन्ड के जरिये सबसे अधिक चंदा मिला है।

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शुभायन चक्रवर्ती   
श्रेया जय   
Last Updated- March 15, 2024 | 10:00 PM IST

चुनावी बॉन्ड के माध्यम से चंदा देने वाली शीर्ष 10 कंपनियों में कम से कम चार कंपनियों के मुख्यालय कोलकाता में हैं। इनमें हल्दिया एनर्जी लिमिटेड, एस्सेल माइनिंग ऐंड इंडस्ट्री लिमिटेड, केवेंटर फूडपार्क इन्फ्रा लिमिटेड और मदनलाल लिमिटेड शामिल हैं। यही नहीं, कोलकाता ऐसा शहर है जहां योजना शुरू होने के बाद से अब तक सबसे अधिक चुनावी बॉन्ड बेचे गए।

निर्वाचन आयोग द्वारा गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक भाजपा के बाद पश्चिम बंगाल में सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस को चुनावी बॉन्ड के जरिये सबसे अधिक चंदा मिला है। विशेष यह कि चुनावी बॉन्ड खरीदने वाली कोई बड़ी कंपनी नहीं है, बल्कि शहर की छोटी-छोटी कंपनियों ने अधिक संख्या में इनकी खरीद की। बहुत-सी कंपनियां तो ऐसी हैं, जिनके कारोबार के बारे में भी स्पष्ट जानकारी नहीं है।

आंकड़ों से पता चलता है कि कुल 377 करोड़ रुपये के साथ हल्दिया एनर्जी लिमिटेड चौथी सबसे ज्यादा बॉन्ड खरीदने वाली कंपनी है। आरपी-संजीव गोयनका समूह की इस ऊर्जा कंपनी का हल्दिया में कोयला आधारित 300 मेगावॉट का ऊर्जा संयंत्र है। राष्ट्रीय स्तर की सूची में छठे नंबर पर कोलकाता की एस्सेल माइनिंग ऐंड इंडस्ट्री लि. का नाम है। यह आदित्य बिड़ला समूह का हिस्सा है, जिसने 2019 के बाद से विभिन्न मौकों पर 224.5 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे।

मदनलाल लिमिटेड ने चुनावी बॉन्ड पर 185.5 करोड़ रुपये खर्च किए। केवेंटर समूह की अलग-अलग कंपनियों ने भी 600 करोड़ रुपये के चुनावी बॉन्ड खरीदे। एमकेजे समूह ने 128 करोड़ रुपये के बॉन्ड खरीदे। मेरियड फाइनैंशियल एजेंसीज जिसके कारोबार के बारे में स्पष्ट जानकारी नहीं मिलती, ने भी चुनावी बॉन्ड खरीद में हिस्सा लिया।

First Published : March 15, 2024 | 10:00 PM IST