कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग द्वारा चुनावी बॉन्ड के आंकड़े सार्वजनिक किए जाने के बाद शुक्रवार को आरोप लगाया कि ये आंकड़े ‘किसी लाभ के बदले लाभ पहुंचाने, हफ्तावसूली, रिश्वतखोरी और मुखौटा कंपनियों के माध्यम से धन शोधन’ जैसी भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ‘भ्रष्ट तरकीबों’ को बेनकाब करते हैं। पार्टी महासचिव जयराम रमेश ने मांग भी की कि बॉन्ड आईडी नंबर उपलब्ध कराए जाएं ताकि चंदा देने वालों और लेने वालों का सटीक मिलान किया जा सके।
उच्चतम न्यायालय के निर्देश के बाद भारतीय स्टेट बैंक ने 12 मार्च को आयोग के साथ आंकड़े साझा किए थे। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया मंच ‘एक्स’ पर लिखा, ‘1,300 से अधिक कंपनियों और व्यक्तियों ने चुनावी बॉन्ड के रूप में चंदा दिया है, जिसमें 2019 के बाद से भाजपा को मिला 6,000 करोड़ से अधिक का चंदा शामिल है।’
रमेश ने इस योजना को ‘स्वतंत्र भारत का सबसे बड़ा घोटाला’ करार दिया और कहा कि इस पर निर्वाचन आयोग द्वारा साझा किया गया आंकड़ा ‘अधूरा’ था।
उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन के खिलाफ नहीं है, लेकिन वह चुनाव प्रक्रिया में ‘वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल’ (वीवीपीएटी) का इस्तेमाल चाहती है।