ऐसे लोग जो लोग घर खरीदने की चाह रखते हैं उनके लिए अच्छी खबर है।
सरकार एक ऐसे प्रस्ताव पर विचार कर रही है जिसके तहत ब्याज दरों पर सब्सिडी देकर आवासीय ऋण को सस्ता बनाया जाएगा। इसके पीछे सरकार की मंशा मंदी का कहर झेल रहे रियल एस्टेट क्षेत्र में जान फूंकना है।
इतना ही नहीं रियल एस्टेट के कारोबार के मंदा पड ज़ाने से इस्पात और सीमेंट उद्योगों पर भी प्रतिकूल असर पडा है। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि ब्याज दरों में सब्सिडी के जरिये कुछ छूट देने से इन क्षेत्रों को भी काफी राहत मिलेगी।
इस नए प्रस्ताव में रियल एस्टेट डेवलपर्स को बाजार दर से कम पर ऋण उपलब्ध कराने की बात भी शामिल है। हालांकि इस प्रस्ताव केतहत दिए जाने वाले ऋणों पर कुछ शरते भी लागू होंगी जैसे फ्लैट और व्यक्तिगत त्रणों को बेचने की कीमत पर ऊपरी कीमत की सीमा का लागू होना आदि।
घर खरीदने केलिए कर्ज केरूप में अधिकतम दस लाख दिए जाएंगे। क्योंकि इस तरह के अनुमासशन लगाए जा रहे थे कि घर खरीदने केलिए दिए जा रहे ऋणों में करीब 75 फीसदी 7.5 लाख रुपये से कम के थे।
सरकार द्वारा उसी डेवलपर को सब्सिडी पर कर्ज दिया जाएगा जिनके पास कि जमीन है या फिर जिनकी निर्माण परियोजनाएं पैसों के अभाव में बीच में ही लटकी पडी हैं।
सरकारी सब्सिडी के तहत दिए जा रहे आवासीय ऋण केलिए वित्त सचिव अरुण रामनाथन के नेतृत्व में सचिवों के पैनल की बैठक हुई है।
इस बैठक में शहरी विकास मंत्रालय को इस संबंध में एक नोट तैयार कर इसे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह केनेतृत्व में गठित सर्वोच्च समिति समिति को सौंपने की सलाह दी है।
इस बारे में कोई भी अंतिम फैसला सवोच्च समिति द्वारा ही किया जाएगा। इस बारे में एक वष्ठि सरकारी अधिकारी ने बताया कि इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई जिसमें 8 फीसदी पर ऋण उपलब्ध कराने की बात शामिल है।
अधिकारी ने कहा कि यह दर करीब पांच सालों के लिए स्थिर रह सकती है इसके अलावा सरकार बाकी ब्याज राशि का भार वहन करेगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले एक सालों में भारत में व्यवसायिक बैंकों ने ब्याज दरों में जबरस्त बढ़ोतरी की है। हालात इतने कठिन हो गए कि कुछ बैंकों ने अपने पीएलआर को बढ़ाकर14 फीसदी के आसपास कर दिया जो पिछले एक साल पहले 9 फीसदी हुआ करते थे।
ब्याज दरों में इस जबरदस्त बढाेतरी से घर खरीदने की इच्छा रखनेवाले कई लोगों के हाथों निराशा हाथ लगी। भारत में अमेरिका में हुए सब-प्राइम संकट की तरह ही किसी संकट की स्थिति उत्पन्न न हो जाए, इस बात का पूरा ध्यान रखा जा रहा है और सामान्य ऋणों की तरह इस ऋण को देते समय भी लेनदारों की ऋण लौटाने की क्षमता का पूरा आकलन किया जाएगा।
सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था में मांग को बनाए रखने की पूरी कोशिश की जाा रही है। सूत्रों की माने तो अगर आवासीय क्षेत्र में अगले दो से तीन महीनों के भीतर मांग में तेजी नहीं आती है तो इसका भारतीय अर्थव्यवस्था पर बहुत ही प्रतिकूल असर पड़ेगा। अभी स्थिति यह है कि कई आवासीय परियोजनाएं धन के अभाव में अधर में लटकी हुई है।
अगर आवासीय क्षेत्र की स्थिति में सुधार होता है तो उस स्थिति में इसका अच्छा असर सीमेंट और इस्पात उद्योग पर पड़ेगा जहां मांग में काफी गिरावट आई है। इन क्षेत्रों की सेहत सुधरने से भारतीय अर्थव्यवस्था में काफी मजबूती आएगी।