भारतीय रेलवे देश में एक ऐसी रेल व्यवस्था बनाना चाहता है जो आधुनिक और भविष्य की जरूरतों को पूरा कर सके। इसी लक्ष्य को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रीय रेल योजना (एनआरपी) – 2030 तैयार की गई है। यह एक बड़ी योजना है जिसका मकसद माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाना है। इसे हासिल करने के लिए एनआरपी रेलवे के कामकाज को बेहतर बनाने और व्यापार से जुड़े फैसलों (वाणिज्यिक नीति) में बदलाव करने की रणनीति बनाती है।
राष्ट्रीय रेल योजना (एनआरपी) – 2030 के लक्ष्य:
आने वाली मांग से पहले ही रेल नेटवर्क की क्षमता बढ़ाना: भविष्य में माल ढुलाई की मांग बढ़ने वाली है। एनआरपी का लक्ष्य अभी से रेल नेटवर्क को इतना मजबूत बनाना है कि 2050 तक की मांग को आसानी से पूरा किया जा सके।
जरूरी परियोजनाओं की पहचान और उनका मूल्यांकन: एनआरपी रेल नेटवर्क को फैलाने और उसे बेहतर बनाने के लिए अलग-अलग परियोजनाओं की पहचान करती है। फिर इन परियोजनाओं का गहराई से अध्ययन किया जाता है कि ये कितनी फायदेमंद होंगी और इन्हें करने में कितना खर्च आएगा। इसके बाद राष्ट्रीय रणनीति के हिसाब से इन परियोजनाओं को प्राथमिकता दी जाती है।
रेलवे के बुनियादी ढांचे की कमियों का पता लगाना: एनआरपी मौजूदा रेलवे बुनियादी ढांचे में कमियों का पता लगाती है। उदाहरण के लिए, कहीं पर ट्रैक खराब है या कहीं पर सिग्नल सिस्टम पुराना है। इन कमियों को दूर करने के लिए योजना बनाई जाती है।
राष्ट्रीय रेल योजना रेल नेटवर्क को फैलाने और उसे आधुनिक बनाने के लिए एक खाका तैयार करती है। इससे माल ढुलाई के लिए रेलवे ज्यादा किफायती विकल्प बन पाएगा और देश का आर्थिक विकास भी तेजी से होगा।
भारतीय रेलवे की रफ्तार बढ़ाने के लिए किए गए प्रयास:
रेलवे लगातार यात्री और मालगाड़ियों दोनों की गति बढ़ाने के लिए कई उपाय कर रहा है। रफ्तार बढ़ाने पर लगातार काम हो रहा है।
भारतीय रेल पर सेमी-हाई-स्पीड रूट:
पिछले चार सालों में, भारतीय रेलवे ने कई रूटों पर स्वदेशी रूप से विकसित सेमी-हाई-स्पीड ट्रेनें – वंदे भारत एक्सप्रेस शुरू की हैं। अभी तक, रेलवे ने देश में 51 वंदे भारत ट्रेन सेवाएं शुरू कर दी हैं।
भारतीय रेल पर हाई-स्पीड रूट:
रेलवे नेटवर्क पर ट्रेनों की रफ्तार को और बढ़ाना रेलवे का एक निरंतर लक्ष्य है। इसके लिए भविष्य में देश में हाई-स्पीड रेल नेटवर्क के विकास के लिए कुछ संभावित रूट चिन्हित किए गए हैं।
रेलवे भविष्य में देश में इन रास्तों पर हाई-स्पीड ट्रेनें चलाने की सोच रहा है:
मुंबई-अहमदाबाद
दिल्ली – नोएडा – आगरा – कानपुर – लखनऊ – वाराणसी (865 किमी)
दिल्ली – जयपुर – उदयपुर – अहमदाबाद (886 किमी)
मुंबई – पुणे – हैदराबाद (711 किमी)
चेन्नई – बेंगलुरु – मैसूर (435 किमी)
दिल्ली – चंडीगढ़ – लुधियाना – जालंधर – अमृतसर (459 किमी)
वाराणसी-हावड़ा
इनमें से अभी मुंबई-अहमदाबाद हाई-स्पीड रेल परियोजना पर काम चल रहा है। जापान सरकार इस प्रोजेक्ट में पैसा दे रही है और उसकी मदद से ये बन रहा है. हाल ही में, महाराष्ट्र में 135 किलोमीटर लंबे ट्रैक के लिए आखिरी ठेका भी दे दिया गया है।