facebookmetapixel
बिहार में NDA की धमाकेदार जीत के बाद बोले PM मोदी: नई MY फॉर्मूला ने पुरानी को मिटा दियाBihar Election Result: कैसे महिला वोटरों ने अपने दम पर बिहार में NDA की बंपर जीत सुनिश्चित की?PM Kisan 21st installment: आ गई 21वीं किस्त जारी करने की तारीख, इस दिन किसानों के खाते में गिरेगा पैसा‘राज्य के सभी मतदाताओं को मेरा नमन’, जीत के बाद बोले नीतीश: सबके सहयोग से बिहार और आगे बढ़ेगादिल्ली ट्रैफिक अलर्ट! VVIP मूवमेंट से आज कई मार्गों पर डायवर्जन, पीएम मोदी के भाजपा मुख्यालय जाने की संभावनामहंगे IPO में बढ़ते रिस्क पर एक्सपर्ट्स की चेतावनी: निवेशक वैल्यूएशन समझकर ही लगाएं पैसाBihar Election Results: प्रशांत किशोर की बड़ी हार! जन सुराज के दावे फेल, रणनीति पर उठे सवालBihar Results: कैसे हर चुनाव में नीतीश कुमार ने अपनी राजनीतिक रणनीति को जरूरत के हिसाब से बदला?ED के समन पर पेश नहीं हुए अनिल अंबानी, बढ़ सकती है मुश्किलें! एजेंसी ने नया नोटिस जारी कियाBihar Assembly Elections 2025: NDA की प्रंचड जीत पर बोले प्रधानमंत्री मोदी, कहा- यह सुशासन की जीत है

WEF Davos 2023: ऊंची महंगाई दर से मॉनेटरी और फिस्कल पॉलिसी के बीच तालमेल बिठाने में हो रही है दिक्कत- गोपीनाथ

Last Updated- January 19, 2023 | 12:54 PM IST
Gita Gopinath

अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष की उप-प्रबंध निदेशक गीता गोपीनाथ ने बुधवार को कहा कि ऊंची महंगाई दर के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था के समक्ष अलग तरह की स्थिति पैदा हो गयी है। इससे मौद्रिक और राजकोषीय नीतियों के बीच तालमेल बैठाने की दिक्कत देखने को मिल रही है।

विश्व आर्थिक मंच की सालाना बैठक के दौरान एक सत्र में उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष मुद्रास्फीति की ऐसी स्थिति है, जो हमने कभी नहीं देखी। उन्होंने कहा कि यह नीचे आ रही है लेकिन अब भी ऊंची है।

इससे मौद्रिक नीति और राजकोषीय नीति के बीच ‘परेशानी’ देखने को मिल रही है। गोपीनाथ ने कहा, ‘‘आपको एक तरफ मुद्रास्फीति से निपटना है। लेकिन दूसरी तरफ खाद्यान्न और ऊर्जा समेत विभिन्न स्तरों पर अन्य समस्याएं भी हैं और उसके लिये राजकोषीय नीति की जरूरत है। इससे मौजूदा स्थिति कठिन हो रही है।’’

उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण मुद्रास्फीति है। इससे कर्ज पर असर देखने को मिला है और उसके वास्तविक मूल्य में कमी आई है।

आईएमएफ की उप-प्रबंध निदेशक ने कहा, ‘‘अगर आप 2020 में वैश्विक स्तर पर सार्वजनिक कर्ज को देखे, यह जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) के करीब 99 प्रतिशत तक चला गया था। अब यह कम होकर जीडीपी के 91 प्रतिशत तक आ गया है। इसका कारण पुनरुद्धार और दूसरा मुद्रास्फीति है। मुद्रास्फीति से कर्ज का वास्तविक मूल्य कम हुआ है।’’ उन्होंने कहा कि यह कठिन स्थिति है और देशों को देखना होगा कि क्या सही है।

राजकोषीय नीति को भूमिका निभानी है। गोपीनाथ ने कहा, ‘‘मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये इसमें (राजकोषीय नीति) स्थिरता जरूरी है। इसका मतलब है कि कम-से-कम यह बढ़े नहीं। दूसरी चीज, राजकोषीय नीति को लेकर यह ध्यान में रखना है कि आपको समाज के सबसे कमजोर तबके का संरक्षण करना है और खाद्य तथा ऊर्जा संकट को देखते हुए, यह बार-बार करने की जरूरत होगी। जो घरों के लिये जरूरी चीजें हैं, आपको उसे उपलब्ध कराने की जरूरत है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘राजकोषीय नीति के स्तर पर रूपरेखा सुदृढ़ होना चाहिए और कर्ज में कमी लाने को लेकर चीजें स्पष्ट होनी चाहिए।’’

First Published - January 19, 2023 | 12:44 PM IST

संबंधित पोस्ट