अमेरिका द्वारा भारतीय वस्त्र और परिधानों पर 50 प्रतिशत शुल्क लगाए जाने के बाद, आगामी छह महीनों में भारत के लगभग एक-चौथाई वस्त्र निर्यात पर गहरा असर पड़ सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय निर्यातकों को ऑर्डर रद्द होने जैसी गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि अमेरिका भारत के वस्त्र और परिधान निर्यात का सबसे बड़ा बाजार है।
हालांकि, सरकार द्वारा कपास के ड्यूटी-फ्री आयात को 31 दिसंबर 2025 तक बढ़ाने के फैसले को घरेलू वस्त्र उद्योग के लिए एक राहतभरा कदम माना जा रहा है। इस छूट से उद्योग को लागत घटाने और अमेरिकी शुल्क के प्रभाव को कम करने के लिए निर्यात रणनीति में बदलाव करने में मदद मिल सकती है। साथ ही, भारत के मौजूदा मुक्त व्यापार समझौतों (FTAs) का लाभ उठाकर नए निर्यात बाजारों की तलाश की जा सकती है।
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कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्री (CITI) की महासचिव चंद्रिमा चटर्जी ने कहा, “अगर कुछ हद तक रणनीति में बदलाव कर पाए तो अगले छह महीनों में 20-25% तक का असर देखने को मिल सकता है। वरना यह आंकड़ा 28% तक पहुंच सकता है। यह असर मुख्य रूप से परिधान और मेड-अप्स पर पड़ेगा।”
उन्होंने बताया कि सरकार द्वारा दी गई कपास आयात पर छूट से उद्योग को काफी राहत मिलेगी, क्योंकि अब नए ऑर्डर की पूर्ति के लिए भी आयात संभव हो सकेगा। “पहले की छूट का लाभ नए ऑर्डर को नहीं मिल पा रहा था, क्योंकि कपास के शिपमेंट में कम से कम 45-50 दिन लगते हैं। अब यह लंबी अवधि की छूट नए ऑर्डर के लिए उपयोगी होगी।” चटर्जी ने कहा कि “घरेलू कपास और अंतरराष्ट्रीय बेंचमार्क मूल्य में 10-15% तक का अंतर था, जो अब इस छूट से कम होगा। इससे भारतीय उत्पाद अधिक प्रतिस्पर्धी बनेंगे।”
एपरल एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल (AEPC) के अध्यक्ष सुधीर सेखरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर अमेरिका के इस कदम पर गहरी चिंता जताई है। “अमेरिका भारतीय वस्त्र और परिधान निर्यात का सबसे बड़ा गंतव्य है, और इतना ज्यादा शुल्क हमारी प्रतिस्पर्धा को खत्म कर देगा। इससे निर्यातकों और अमेरिकी उपभोक्ताओं दोनों को नुकसान होगा।” हालांकि उन्होंने सरकार को यह भरोसा भी दिलाया कि “भारतीय किसानों, डेयरी और मत्स्य उद्योग के हितों की रक्षा के सरकार के रुख का हम पूरा समर्थन करते हैं।”
सेखरी ने बताया कि उद्योग पहले ही ऑर्डर रद्द होने और संभावित नुकसान का सामना कर रहा है, और अब वे वैकल्पिक बाजारों और रणनीतियों की तलाश में हैं। “हम वस्त्र मंत्रालय और वाणिज्य मंत्रालय के संपर्क में हैं और दोनों मंत्रालयों से हरसंभव सहयोग का आश्वासन मिला है।” वित्त वर्ष 2024-25 में भारत का कुल वस्त्र एवं परिधान क्षेत्र USD 179 अरब डॉलर का अनुमानित है, जिसमें से USD 142 अरब डॉलर का घरेलू बाजार और USD 37 अरब डॉलर का निर्यात शामिल है।
(एजेंसी इनपुट के साथ)