महामारी से राज्यों की वित्तीय स्थिति को बड़ा झटका लग सकता है। प्रमुख 12 राज्यों का कुल कर्ज बढ़ा है। उनकी पूंजीगत व्यय संबंधी गतिविधियां बहुत तेजी से कम हुई हैं। साथ ही वस्तु एवं सेवा कर से मिलने वाला राजस्व भी उम्मीद से कम है। रेटिंग एजेंसी इक्रा ने आज यह कहा है। इसका एक मतलब यह भी है कि चालू वित्त वर्ष की चौथी तिमाही में देश के जीडीपी में 1 से 2 प्रतिशत का संकुचन हो सकता है।
इन राज्यों का कुल मिलाकर कर्ज 2020-21 में सकल राज्य घरेलू उत्पाद का 28.9 प्रतिशत रह सकता है, जो इसके पहले के वित्त वर्ष में 22.3 प्रतिशत और वित्त वर्ष 19 में 21.9 प्रतिशत था। अनुमान है कि इन 12 प्रमुख राज्यों में वित्त वर्ष 21 में बजट में निर्धारित पूंजीगत व्यय में 2.5 से 2.7 लाख करोड़ रुपये की कटौती हो सकती है। इक्रा ने वित्त वर्ष 21 में जीडीपी में 11 प्रतिशत संकु चन का अनुमान लगाया है, वहीं तीसरी तिमाही में संकुचन घटकर 5-7 प्रतिशत और अंतिम तिमाही में 1 से 2 प्रतिशत संकुचन का अनुमान है। इक्रा रेटिंग में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘हमें लगता है कि चौथी तिमाही में संकुचन होगा क्योंकि राज्य सरकारों ने पूंजीगत व्यय में भारी कटौती की है, जिसकी वजह से कई राज्यों में रिकवरी ठहर जाएगी।’ नायर ने कहा कि त्योहारी सीजन उम्मीद से बेहतर रहेगा और कई संकेतक सितंबर में तेजी दिखा रहे हैं, लेकिन यह देखा जाना बाकी है कि यह धारणा जारी रहती है या नहीं, उसी के मुताबिक बदलाव करना होगा। इक्रा ने जिन 12 राज्यों से नमूने लिए हैं, उनमें आंध्र प्रदेश, गुजरात, हरियाणा, कर्नाटक, केरल, महाराष्ठ्र, पंजाब, राजस्थान, तमिलनाडु, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल शामिल हैं। इन राज्यों का संयुक्त जीएसडीपी 2018-19 में देश के जीडीपी का तीन चौथाई है।
