भारत सरकार के बॉन्डों के ट्रेडर आरबीआई की तरफ से बुधवार को लगातार छठी बार रीपो दरों (Repo Rate) में इजाफे की घोषणा से आश्चर्यचकित नहीं हुए। बाजार के उत्साह पर हालांकि चोट पड़ी क्योंकि केंद्रीय बैंक से ठोस संकेत नहीं मिले कि वह आने वाले समय में दरों में बढ़ोतरी पर कब विराम लगाएगा।
आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति ने रीपो दरों में 25 आधार अंकों का इजाफा करते हुए उसे चार साल के उच्चस्तर 6.50 फीसदी पर पहुंचा दिया। दरों में बढ़ोतरी का आकार हालांकि आरबीआई की दर बढ़ोतरी के मौजूदा चक्र में सबसे छोटा रहा, जिसकी शुरुआत मई 2022 में हुई है।
हालांकि दरों में बढ़ोतरी की धीमी रफ्तार आरबीआई के उस संकेत के बारे में बताता है कि महंगाई नरम होकर उनके स्वीकार्य स्तर 2-6 फीसदी के दायरे में आ गया है, लेकिन केंद्रीय बैंक की भाषा बताती है कि वह महंगाई पर से अपना ध्यान नहीं हटाने जा रहा।
नीतियों को लेकर बाजार की उम्मीद वैश्विक आर्थिक कमजोरी के बीच भारत की जीडीपी की रफ्तार में नरमी और पिछले नौ महीने में केंद्रीय बैंक की तरफसे दरों में की गई तीव्र बढ़ोतरी पर आधारित थी। चूंकि ट्रेडरों ने महंगाई को लेकर आरबीआई की चिंता पर नजर रखी, 10 वर्षीय बेंचमार्क बॉन्ड 3 आधार अंक चढ़कर 7.34 फीसदी पर पहुंच गया। बॉन्ड की कीमतें व प्रतिफल एक दूसरे के विपरीत दिशा में चलते हैं।
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने जोर देते हुए कहा कि आरबीआई महंगाई में ठीक-ठाक नरमी देखना चाहता है और मुख्य महंगाई अभी भी ज्यादा है और अर्थव्यवस्था सुदृढ़ता दिखा रहा है। आरबीआई का पूर्वानुमान भी बताता है कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई अगले वित्त वर्ष में 5 या 5 फीसदी से ऊपर बनी रह सकती है। आरबीआई का लक्ष्य महंगाई को लेकर 4 फीसदी है।
एचडीएफसी बैंक के ट्रेजरी रिसर्च नोट में कहा गया है, आरबीआई की नीति बाजार के ज्यादातर प्रतिभागियों की उम्मीद से ज्यादा आक्रामक थी क्योंकि आरबीआई ने माना कि महंगाई के टिकाऊ लक्ष्य को हासिल करने से अभी दूर है।
इसमें कहा गया है, आगे केंद्रीय बैंक आंकड़ों पर ज्यादा निर्भर बन सकता है और यह आगामी नीतिगत घोषणा में दरों में एक बार फिर बढ़ोतरी की संभावना को खारिज नहीं करता। हमें लगता है कि 10 साल की प्रतिभूतियों की ट्रेडिंग अल्पावधि में 7.30 से 7.35 फीसदी के दायरे में होगी।
आरबीआई स्पष्ट कर रहा है कि दरों को लेकर उसका रुख बैंकिंग व्यवस्था में मौजूदा नकदी सरप्लस से जुड़ा हुआ है, पर ट्रेडरों को आशंका है कि अगले तीन-चार महीने में बैंकों की अतिरिक्त नकदी काफी हद तक कम हो जाएगी।
महामारी काल के लंबी अवधि के रीपो ऑपरेशन 2023 के कुल 75,000 करोड़ रुपये के रीडम्पशन से अतिरिक्त नकदी काफी हद तक कम हो जाएगी और अगले कुछ महीने में बड़ा हिस्सा परिपक्व हो जाएगा। ट्रेडरों ने ये बातें कही।
अब से लेकर मौजूदा वित्त वर्ष के अंत तक बॉन्ड बाजार केंद्र सरकार के उधारी कार्यक्रम में बहुत ज्यादा उतारचढ़ाव की उम्मीद नहीं कर रहा, जो 24 फरवरी को खत्म हो रहा है।