अर्थव्यवस्था

अर्थव्यवस्था में हो चेतावनी तंत्र, वित्त मंत्री ने कहा – वित्तीय स्थिरता पक्की करना नियामकों की जिम्मेदारी

Published by
अरूप रायचौधरी
Last Updated- May 08, 2023 | 11:56 PM IST

पश्चिम के बैंकों में जारी नकदी संकट के बीच वित्तीय स्थायित्व एवं विकास परिषद (FSDC) ने भारत के वित्तीय क्षेत्र के लिए चेतावनी देने वाले और भी शुरुआती संकेतों की जरूरत पर चर्चा की। इससे नियामकों को परेशानी के संकेत पहचानने और उनकी तैयारी पहले ही करने में मदद मिलेगी।

नई दिल्ली मे एफएसडीसी की बैठक में आज वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नियामकों से कहा, ‘नियामकों को लगातार नजर रखनी चाहिए क्योंकि वित्तीय क्षेत्र की स्थिरता नियामकों की साझी जिम्मेदारी है। किसी भी प्रकार का संकट दूर करने और वित्तीय स्थिरता मजबूत करने के लिए नियामकों को समय से उचित कार्रवाई करनी चाहिए।’ इस बार आम बजट पेश होने के बाद एफएसडीसी की यह पहली बैठक है।

बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास, भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच, बीमा विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के चेयरमैन देवाशिष पांडा, पेंशन कोष विनियामक एवं विकास प्राधिकरण के चेयरमैन दीपक मोहंती, भारतीय ऋणशोधन अक्षमता एवं दिवालिया बोर्ड के अध्यक्ष रवि मित्तल तथा अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेव  केंद्र प्राधिकरण के अध्यक्ष इंजेती श्रीनिवास शामिल हुए। वित्त मंत्रालय के पांच सचिवों और मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन भी वहां मौजूद रहे।

आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने बैठक के बाद संवाददाताओं को बताया, ‘परिषद ने वित्तीय स्थिरता समेत कई मसलों पर चर्चा की और माना कि वैश्विक अर्थव्यवस्था तथा वैश्विक नजरिये से कई बड़ी चुनौतियां आ रही हैं।’

सेठ ने कहा, ‘रिजर्व बैंक के पास पहले ही कुछ संकेतक हैं मगर देसी वित्तीय बाजारों, वैश्विक बाजारों तथा वास्तविक अर्थव्यवस्था की स्थिति बताने वाले अधिक संकेतकों की जरूरत है। इनका उद्देश्य संकट को बड़ा बनने से पहले शुरुआती स्तर पर ही पहचान लेना है।’

एफएसडीसी की बैठक उस समय हो रही है, जब अमेरिका में क्षेत्रीय बैंक नाकाम हो गए। साथ ही उनकी नाकामी का असर यूरोप तक पहुंच गया।

सेठ ने कहा, ‘चुनौतीपूर्ण वैश्विक वित्तीय स्थिति के बावजूद देश की वित्तीय व्यवस्था पूरी तरह से सुरक्षित, मजबूत और नियमन के दायरे में है।’ उन्होंने कहा, ‘एफएसडीसी में वै​श्विक बैंकिंग संकट के प्रभाव पर चर्चा की गई। हालांकि मैं बताना चाहूंगा कि प​श्चिमी वित्तीय संकट का असर भारतीय बैंकों पर नहीं पड़ेगा।’

बैठक में बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थानों में पड़ी बिना दावे की राशि संबंधित लोगों को दिलाने में मदद के लिए नियामकों द्वारा अभियान चलाने की जरूरत बताई गई।

सीतारमण ने पिछले बजट में इस तरह के कदम उठाने की घोषणा की थी।

सेठ ने कहा, ‘बजट में शेयरों और लाभांश के तौर पर बिना दावे की रा​शि निपटाने के लिए विशेष अ​भियान चलाने की बात कही गई थी, खास तौर पर ऐसे मामलों में जहां नामितों की जानकारी उपलब्ध है। जिन मामलों में नामितों की जानकारी नहीं है, उनकी पहचान के लिए विशेष व्यवस्था करने की जरूरत है।’

First Published : May 8, 2023 | 11:56 PM IST