चालू वित्त वर्ष की जुलाई-सितंबर तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर घटकर 5.4 फीसदी रह गई है मगर भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की 6 सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति द्वारा इस हफ्ते प्रस्तावित बैठक में रीपो दर घटाए जाने की उम्मीद नहीं है। बिज़नेस स्टैंडर्ड द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में 10 प्रतिभागियों ने यह राय जाहिर की। केवल एक प्रतिभागी आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने कहा कि रीपो दर में 25 आधार अंक की कटौती हो सकती है।
अधिकतर प्रतिभागियों ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर और मुद्रास्फीति के अनुमान में संशोधन हो सकता है। आरबीआई ने 7.2 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया था जिसमें वह कमी कर सकता है और मुद्रास्फीति के अनुमान को 4.5 फीसदी से बढ़ाया जा सकता है।
दिसंबर की समीक्षा बैठक में दर यथावत रह सकती है मगर तरलता का प्रबंधन महत्त्चपूर्ण पहलू हो सकता है। मौद्रिक नीति समिति की बैठक के नतीजे शुक्रवार को जारी होंगे। विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में ज्यादा हस्तक्षेप से बैंकिंग तंत्र में तरलता काफी कम हो गई है। इसे देखते हुए बैंकों के लिए नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर) की आवश्यकता घटाई जा सकती है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में अर्थशास्त्री अनुभूति सहाय और सौरभ आनंद ने एक नोट में कहा, ‘वृद्धि दर में गिरावट को देखते हुए आरबीआई तरलता बढ़ाने के लिए सीआरआर 25 आधार अंक घटा सकता है। इसके साथ ही दर कटौती से पहले बैंकिंग तंत्र में तरलता बढ़ाने से बैंक कटौती का लाभ बेहतर तरीके से देने में सक्षम होंगे।’
बीते गुरुवार को बैंकिंग प्रणाली में 9,489 करोड़ रुपये की नकदी की कमी थी। दो महीने बाद 26 नवंबर को बैंकिंग तत्र में नकदी की किल्लत देखी गई।
एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज की लीड इकनॉमिस्ट माधवी अरोड़ा ने कहा, ‘दिसंबर में दर कटौती की संभावना नहीं है मगर तरलता बढ़ाने के कुछ उपायों की घोषणा की जा सकती है। इसके साथ ही वृद्धि दर और मुद्रास्फीति अनुमान में भी संशोधन हो सकता है।’
अक्टूबर की बैठक में मौद्रिक नीति समिति ने रीपो दर को यथावत रखते हुए अपने रुख को बदलकर तटस्थ कर लिया था।
सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों ने कहा कि खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी को देखते हुए दर में कटौती किए जाने की गुंजाइश नहीं है। अधिकतर प्रतिभागियों ने कहा कि दर कटौती फरवरी से शुरू हो सकती है।
आरबीएल बैंक की अर्थशास्त्री अचला जेठमलानी ने कहा, ‘मुद्रास्फीति में तेजी और मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए सतर्क दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।’ उन्होंने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में मुख्य मुद्रास्फीति के 5 फीसदी से नीचे लाने के लिए खाद्य मुद्रास्फीति का कम होना जरूरी है।’
अक्टूबर में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 14 महीने में सबसे अधिक 6.21 फीसदी रही जो सितंबर में 5.49 फीसदी थी। मई 2022 से फरवरी 2023 के बीच रीपो दर को 250 आधार अंक बढ़ाकर 6.5 फीसदी किए जाने के बाद से आरबीआई ने पिछली 10 नीतिगत बैठकों में रीपो दर को यथावत रखा है।
आईडीएफसी फर्स्ट बैंक में अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी वृद्धि अनुमान घटाकर 6.6 फीसदी किया जा सकता है। इस बीच खाद्य पदार्थों के दाम बढ़ने से मुद्रास्फीति में तेजी बनी हुई है।’
सभी प्रतिभागियों ने कहा कि आरबीआई चालू वित्त वर्ष के लिए वृद्धि दर अनुमान को घटकर 7 फीसदी से कम कर सकता है। इसके साथ ही मुद्रास्फीति अनुमान भी बढ़ सकता है।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘आरबीआई ने तेजी वृद्धि के रुख को देखते हुए 7.2 फीसदी वृद्धि दर का अनुमान लगाया था मगर दूसरी तिमाही के आंकड़े झटके की तरह हैं। दूसरी छमाही में वृद्धि दर बढ़ने की उम्मीद है इसके बावजूद चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 7 फीसदी से कम रहेगी।’