सितंबर अंत तक 2,000 रुपये के नोट वापस लिए जाने के भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के निर्णय के बाद केंद्र सरकार इस साल दिसंबर अंत तक 2,000 रुपये के नोटों की वैधता खत्म कर सकती है।
घटनाक्रम के जानकार सूत्रों ने कहा कि विदेश में रहने वाले कई भारतीय नागरिक और भारतीय दूतावासों के पास भी भारतीय करेंसी हो सकती है। उन्हें किसी तरह की असुविधा से बचाने के लिए सितंबर के बाद भी 2,000 रुपये के नोट वापस लिए जाने की सुविधा दी जा सकती है। 2016 में नोटबंदी के दौरान 500 और 1,000 रुपये के नोटों की वैधता अचानक खत्म किए जाने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था।
उन्होंने कहा, ‘नवंबर 2016 में नोटबंदी के दौरान विदेश में लोगों, कंपनियों और हमारे दूतावासों के पास काफी मात्रा में भारतीय करेंसी थी, जो तय समयसीमा में वापस नहीं आ सकती थी जिसके लिए बाद में छूट दी गई थी। कई लैटिन अमेरिकी देशों और पैसिफिक आइलैंड के दूतावासों जैसे फिजी तथा त्रिनिदाद आदि में कई भारतीय वीजा शुल्क का भुगतान रुपये में करते हैं। ऐसे में इन लोगों को थोड़ी मोहलत की जरूरत है। यही वजह है कि 2,000 रुपये के नोट की वैधता तत्काल खत्म नहीं की गई है और सितंबर की समयसीमा के बाद भी ये नोट वहां से आ सकते हैं।’
सूत्रों के अनुसार, करेंसी वापस लिए जाने के साथ आरबीआई की प्रतिबद्धता खत्म हो जाती है लेकिन सरकार की प्रतिबद्धता बनी रहती है क्योंकि इनकी कानूनी वैधता होती है। 2016 जैसी स्थिति से बचने के लिए 2,000 रुपये के नोटों की वैधता खत्म करने का निर्णय सितंबर के बाद ही लिया जाएगा। हालांकि दिसंबर से आगे इसकी वैधता बनी रहने की संभावना नहीं है। इस बारे में सितंबर के बाद अधिसूचना आ सकती है और साल के अंत तक इसकी वैधता वापस ली जा सकती है।
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हालांकि 2,000 रुपये के नोटों को बदलने या जमा करने की समयसीमा सितंबर से आगे बढ़ाए जाने की संभावना नहीं है। 1,000 रुपये के नोट को फिर से लाने की योजना के बारे में पूछे जाने पर अधिकारी ने कहा कि ऐसी कोई योजना नहीं है।
सूत्रों ने कहा, ‘500 रुपये का नोट देश का सबसे बड़े मूल्य का नोट होगा। अंतत: हमें भारत को कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था बनाना है।’