प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो
चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में भी भारतीय अर्थव्यवस्था की रफ्तार दमदार रहने की उम्मीद है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर पहली तिमाही के 7.8 फीसदी से भले ही नीचे रह सकती है मगर सितंबर तिमाही में अर्थव्यवस्था का प्रदर्शन कमोबेश मजबूत ही रहेगा।
अनुकूल आधार और जीडीपी डिफ्लेटर कम रहने से पहली तिमाही में वृद्धि दर पांच तिमाही में सबसे ऊंची रही थी। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भी वृद्धि दर के दमदार रहने की उम्मीद है मगर पहली तिमाही के मुकाबले यह थोड़ी नरम रह सकती है।
इसके अलावा अमेरिकी शुल्क का असर दूसरी तिमाही में बहुत ज्यादा नहीं दिखेगा और कुल मिलाकर निर्यात गतिविधियां उत्साहजनक कही जा सकती हैं। सामान्य से अधिक मॉनसून से कृषि क्षेत्र को ताकत मिलने और ग्रामीण क्षेत्रों में मांग मजबूत रहने से भी सितंबर तिमाही में वृद्धि अच्छी रहने की उम्मीद है। आईडीएफसी बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘अर्थव्यवस्था की चाल कई सकारात्मक संकेतों के साथ दूसरी छमाही में भी मजबूत रही है। मुझे लगता है कि दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी से ऊपर ही रहेगी।’
आईडीएफसी बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेनगुप्ता ने कहा, ‘जीडीपी डिफ्लेटर और आधार प्रभाव कम रहे हैं जिनका लाभ दूसरी तिमाही में भी दिखेगा भले ही ये उतने असरदार न हों। अमेरिकी शुल्क का प्रभाव आने वाली तिमाहियों में ज्यादा दिखेगा। सूचीबद्ध कंपनियों के मुनाफे में दूसरी तिमाही में वृद्धि देखी गई। इन कंपनियों को पहली तिमाही में कच्चे माल की लागत कम रहने का फायदा मिला था। सितंबर तिमाही में उनके मुनाफे में बढ़ोतरी जारी रही होगी। सरकारी पूंजीगत खर्च कुछ कम जरूर हुआ है मगर यह पूंजीगत व्यय से जुड़ी गतिविधियों के लिए सहायक रही।‘
इंडिया रेटिंग्स में सहायक निदेशक पारस जसराय के अनुसार दूसरी तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 से 7.0 फीसदी के बीच रह सकती है। ट्रंप शुल्क का असर भी थोड़ा-बहुत हुआ है और पहली तिमाही में दिखे कम जीडीपी डिफ्लेटर और आधार प्रभाव के लाभ दूसरी तिमाही में कम रहे हैं। जसराय ने कहा, ‘औद्योगिक उत्पादन के नवीनतम आंकड़ों से पता चलता है कि दूसरी तिमाही में कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का उत्पादन धीमा रहा। इसके अलावा मॉनसून के दौरान बाढ़ से कुछ फसलों को नुकसान हुआ है। कुल मिलाकर अर्थव्यवस्था की चाल कायम है मगर इसमें इसकी गति थोड़ी मंद पड़ सकती है।’
बैंक ऑफ बड़ौदा में मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस को भी कुछ ऐसा ही लग रहा है। सबनवीस ने कहा कि दूसरी तिमाही में जीडीपी वृद्धि की चाल मजबूत रही होगी मगर पहली तिमाही की तुलना में थोड़ी सुस्त रहनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था को दूसरी तिमाही में कई चुनौतियों से होकर गुजरना पड़ा है जिनमें अमेरिकी शुल्कों के कारण निवेश पर हुआ असर भी शामिल है।
सबनवीस ने कहा, ‘वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) में दर कटौती की घोषणा के कारण खपत स्थगित हो गई थी। इसका सकारात्मक प्रभाव आने वाली तिमाहियों में ही दिखाई देगा।’
बुधवार को अपनी द्वि-मासिक पॉलिसी समीक्षा बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक ने दूसरी तिमाही के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान बढ़ाकर 7 फीसदी कर दिया था। आरबीआई ने कहा कि सितंबर तिमाही में घरेलू अर्थव्यवस्था की गति मजबूत रही है।
आरबीआई ने कहा, ‘सामान्य से अधिक वर्षा, सेवा क्षेत्र में उछाल और रोजगार की स्थिर स्थिति मांग की गति बनाए रखने में सहायक हैं। जीएसटी दरों में संशोधन के बाद मांग में और तेजी आने की उम्मीद है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए दूसरी तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि दर अब 7 फीसदी रहने का अनुमान है।’
हालांकि केंद्रीय बैंक ने शुल्क संबंधी मुद्दे, व्यापार नीतियों से जुड़ी अनिश्चितताएं, भू-राजनीतिक तनाव और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय बाजारों में अस्थिरता को लेकर भी आगाह किया।
सेनगुप्ता ने कहा, ‘दूसरी तिमाही में जीएसटी दर कटौती के संभावित लाभ, अमेरिका के साथ शुल्कों संबंधी मुद्दे का समाधान और खुदरा मुद्रास्फीति में वृद्धि पर दूसरी छमाही में सबकी नजरें टिकी होंगी। हमारे अनुमान के अनुसार चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि दर पहली तिमाही की 7 फीसदी की तुलना में लगभग 6 फीसदी तक रह सकती है। पहली तिमाही में दिखे कई लाभ दूसरी तिमाही में नहीं दिखने वाले हैं।’