अर्थव्यवस्था

तकनीक के जरिये काफी कम समय में तैयार हो रहे उत्पाद, WIP चक्र न्यूनतम स्तर पर

वर्क इन प्रोग्रेस साइकल (डब्ल्यूआईपी चक्र) यानी उत्पाद तैयार करने में लगने वाली अवधि वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर 14.2 दिनों की रह गई है।

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सचिन मामपट्टा   
Last Updated- July 21, 2025 | 11:24 PM IST

कंपनियों को कच्चे माल से तैयार उत्पाद बनाने में लगने वाले दिनों की संख्या पिछले कई वर्षों के निचले स्तर पर पहुंच गई है। वर्क इन प्रोग्रेस साइकल (डब्ल्यूआईपी चक्र) यानी उत्पाद तैयार करने में लगने वाली अवधि वित्त वर्ष 2024-25 में घटकर 14.2 दिनों की रह गई है। सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकॉनमी (सीएमआईई) के अनंतिम आंकड़ों से यह खुलासा हुआ है।

ये आंकड़े वित्त वर्ष 2025 के लिए गैर-वित्तीय क्षेत्र की 328 सूचीबद्ध कंपनियों और पिछले वर्षों की सभी उपलब्ध सूचीबद्ध कंपनियों से हासिल जानकारी के आधार पर हैं। पिछले एक दशक के दौरान इन आंकड़ों में गिरावट का रुख रहा है। वित्त वर्ष 2015 में डब्ल्यूआईपी चक्र 23.4 दिनों का था।

कच्चे माल का चक्र और तैयार माल चक्र में बदलाव अ​धिक स्पष्ट नहीं रहे हैं। कच्चे माल चक्र से पता चलता है कि कच्चे माल की खरीद के बाद उत्पादन प्रक्रिया तक पहुंचने में कुल कितने दिन लगे। तैयार माल चक्र से तात्पर्य उत्पाद तैयार होने के बाद उसे बेचने और डिस्पैच करने में लगने वाले दिनों की संख्या से है। इन दोनों चक्रों में एक दशक पहले के मुकाबले कुछ बदलाव दिखे हैं।

डीआर चोकसी फिनसर्व के प्रबंध निदेशक देवेन चोकसी के अनुसार, बेहतर लॉजिस्टिक्स और बुनियादी ढांचे से उत्पादन दक्षता बढ़ाने में मदद मिली है। कंपनियां अब उत्पादकता बढ़ाने के लिए काफी डिजिटल प्रौद्योगिकी अपना रही हैं। उन्होंने उत्पादन प्रक्रिया में कनेक्टेड डिवाइस, मशीन लर्निंग एनालिटिक्स और ऑटोमेशन जैसी तकनीकों को अपनाने का जिक्र करते हुए कहा, ‘कम से कम कुछ उद्योगों में तो इंडस्ट्री 4.0 भी एक वास्तविकता है।’ उदाहरण के लिए, उपभोक्ता कंपनियां मांग का अनुमान लगाने के लिए भविष्यसूचक आर्टिफिशल इंटेलिजेंस का तेजी से उपयोग कर रही हैं।

कुछ कंपनियां तत्काल विनिर्माण करने की पहल कर रही हैं। इसके लिए कच्चे माल का लंबे समय तक भंडारण करने की जरूरत नहीं होती है। मगर कच्चे माल चक्र के समग्र आंकड़ों में फिलहाल यह स्पष्ट तौर पर नहीं दिख रहा है क्योंकि कई कंपनियां अभी भी पुराने तरीके अपना रही हैं।

स्वतंत्र बाजार विशेषज्ञ दीपक जसानी ने बताया कि लॉजिस्टिक में लगने वाले समय और आपूर्ति के लिए वेडरों पर भरोसा न होने के कारण कंपनियां आशंकित रहती हैं। मगर पूंजी उपयोगिता बेहतर करने की आवश्यकता और तेजी से हो रहे बदलाव का फायदा उठाने के बारे में भी जागरूकता बढ़ी है। युवा पीढ़ी के प्रवर्तक नई विनिर्माण प्रथाओं को अपनाने में अधिक दिलचस्पी दिखा रहे हैं।

जसानी ने कहा कि निर्यात पर अ​धिक निर्भर रहने वाली कंपनियां अ​धिक कुशल तरीकों को अपना रही हैं क्योंकि बड़े निर्यात ऑर्डर में प्रति उत्पाद लाभप्रदता आम तौर पर कम होती है। उन्होंने कहा, ‘निर्यात आपको वॉल्यूम देगा लेकिन मार्जिन को बरकरार रखने के लिए कुशल तरीकों को अपनाने की जरूरत होगी।’

ग्राहकों से बकाये रकम की तेजी से वसूली और डब्ल्यूआईपी चक्र में कमी ने समग्र कार्यशील पूंजी चक्र को लगभग 10 दिनों तक कम करने में मदद मिली है। इससे दैनिक कार्यों के लिए कार्यशील पूंजी की जरूरत कम हो सकती है। इस प्रकार दीर्घकालिक निवेश जरूरतों के लिए कंपनियों के पास रकम बच जाती है।

निर्माण और रियल एस्टेट क्षेत्र के अलावा सेवाओं (वित्तीय के अलावा) में भी डब्ल्यूआईपी चक्र में निरंतर सुधार देखा जा रहा है। विनिर्माण सहित अन्य क्षेत्रों के आंकड़ों में व्यापक उतार-चढ़ाव आया है। मगर वित्त वर्ष 2025 के अनंतिम आंकड़े वित्त वर्ष 2019 के मुकाबले व्यापक सुधार दर्शाते हैं।

चोकसी के अनुसार, दक्षता में सुधार दमदार है। उनका मानना है कि मौजूदा लाभ तो केवल शुरुआत है। जसानी ने कहा, ‘एक खास स्तर के बाद सुधार की रफ्तार धीमी पड़ सकती है, लेकिन अब जागरूकता फैल चुकी है और लोग विनिर्माण दक्षता में सुधार के लिए पहल कर रहे हैं। यह रुझान आगे भी जारी रहेगा।’

First Published : July 21, 2025 | 10:49 PM IST