अर्थशास्त्रियों व कंपनी जगत के दिग्गजों का कहना है कि उद्योगों व व्यक्तिगत स्तर पर कर में कटौती जैसे प्रत्यक्ष आर्थिक प्रोत्साहनों से भारत की अर्थव्यवस्था को गति देने में मदद मिलेगी, जो देश के कई राज्यों में लॉकडाउन के कारण बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। उनका कहना है कि आज घोषित योजनाएं आपूर्ति पक्ष के लिए हैं और इसके माध्यम से अर्थव्यवस्था को गति देने में बहुत वक्त लगेगा। कर्ज गारंटी से उद्योगों को बेहतर शर्तों पर कर्ज लेने में मदद मिल सकती है, लेकिन प्रमुख स्टील कंपनियों को छोड़कर भारत की कंपनियां बमुश्किल कोई नई परियोजना ला रही हैं।
केयर रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा, ‘प्रत्यक्ष राहत के कदम बेहतर साबित होंगे क्योंकि इससे गरीबों या किसानों को मदद मिलती है। स्वास्थ्य के मामले में सुविधाएं बनाने में समय लगेगा और इससे मध्यावधि व दीर्घावधि के हिसाब से लाभ होगा। कर के माध्यम से प्रत्यक्ष कार्रवार्ई से अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी, लेकिन ऐसा नहीं किया गया। पिछले साल भी आपूर्ति की ओर ही ध्यान था, जिससे बेहतर माहौल बना। लेकिन इस कठिन दौर में प्रत्यक्ष कार्रवाई ज्यादा प्रभावी होगी।’
वित्त मंत्री ने आज महामारी से प्रभावित क्षेत्रों को समर्थन मुहैया कराने के लिए अतिरिक्त कदमों की घोषणा की है। पहले के पैकेज पर ही इन कदमों की घोषणा की गई है और कुछ छोटे कर्ज व पर्यटन के लिए विशेष सहायता को इसमें शामिल किया गया है। इससे छोटी फर्मों को कर्ज का प्रवाह सुधर सकता है, लेकिन एयरलाइंस, एयरपोर्ट्स, मॉल्स, ऑफलाइन रिटेल और होटलों के लिए कोई सीधा पैकेज नहीं है, जिनका पूरा कारोबारी मॉडल बैठ गया है।
क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा, ‘राहत के ये कदम बेहतर तरीके से लक्षित हैं और निश्चित रूप से कुछ न करने की तुलना में बेहतर हैं। बहरहाल मेरा मानना है कि प्रत्यक्ष आय या नकदी का समर्थन देने की भी जरूरत है, खासकर शहरी गरीबों के लिए।’
इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि मुफ्त खाद्यान्न से निचले तबके के लोगों को मदद मिलेगी और शहरी इलाकों में श्रमिकों को बनाए रखने में सहायता मिलेगी।
उन्होंने कहा, ‘बहरहाल सरकार को ईंधन के दाम में कमी करने पर भी विचार करने की जरूरत है क्योंकि इससे महंगाई का दबाव कम होगा और महंगाई के दबावों से बचा जा सकेगा, जो उच्च स्तर पर पहुंच रहा है। इससे मौद्रिक नीति में बदलाव कर वृद्धि को समर्थन करने में मदद मिलेगी। ईंधन के दाम कम रहने पर खर्च करने योग्य धन पर दबाव कम होगा और ग्राहकों की धारणा बहाल करने व उनकी ओर से खर्च बढ़ाने में मदद मिलेगी।’
उद्योग संगठन सीआईआई के अध्यक्ष टीवी नरेंद्रन ने कहा कि ईसीएलजीएल (इमरजेंसी क्रेडिटलाइन गारंटी स्कीम) एक बहुत सफल हस्तक्षेप रहा है, जिसके तरह जारी राशि 2.69 लाख करोड़ रुपये है। इसकी संभावनाओं व कवरेज के विस्तार से दबाव वाले क्षेत्रों के नकदी प्रवाह को अहम समर्थन मिल सकेगा। नरेंद्रन ने कहा, ‘पर्यटन क्षेत्र सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में रहा है। जीडीपी और रोजगार में इसकी अहम भूमिका होती है और इस क्षेत्र के लिए राहत पैकेज की घोषणा से बहुप्रतीक्षित नकदी मिल सकेगी और इससे इस रोजगार बहुलता वाले क्षेत्र को लाभ मिलेगा।’
एक एयरलाइंस के सीईओ ने कहा कि प्रत्यक्ष वित्तीय प्रोत्साहनों से इन क्षेत्रों को मदद मिल सकती है। कुछ एयरलाइंस ने छंटनी की है या वेतन कम किए हैं।
सीईओ ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘एयरलाइंस और होटलों को मुनाफे में आने में अभी कुछ और साल लग जाएंगे।’ कोविड प्रभावित क्षेत्रों के लिए 1.1 लाख करोड़ रुपये की कर्ज गारंटी योजना की घोषणा की गई है, लेकिन यह पर्याप्त नहीं होगा क्योंकि इसमें से 50,000 करोड़ रुपये स्वास्थ्य क्षेत्र को व 60,000 करोड़ रुपये अन्य क्षेत्रों को आवंटित किया गया है।
