बुनियादी ढांचे के निर्माण के माध्यम से भारत का नैशनल मास्टर प्लान गति शक्ति आर्थिक रिकवरी को रफ्तार दे सकता है। गति आर्थिक ताकत (शक्ति) ला सकता है क्योंकि सरकार की 113 लाख करोड़ रुपये की महत्त्वाकांक्षी योजना सीमेंट, धातु, और बिजली सहित अन्य क्षेत्रों में मांग बढ़ा सकती है और इससे रोजगार का सृजन हो सकता है।
यह निवेश अस्पताल, स्कूल व अन्य सामाजिक बुनियादी ढांचे के निर्माण के हिसाब से भी अहम है, जो सरकार के कार्यबल द्वारा चिह्नित नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन (एनआईपी) के मुताबिक है।
सरकार को उम्मीद है कि केंद्र व राज्यों के निवेश से कोविड-19 की दूसरी लहर के बाद स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे के सृजन को गति मिलेगी। बुनियादी ढांचे में निवेश अर्थव्यवस्था में आगे के निवेश के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है। उदाहरण के लिए पिछले मंगलवार को अमेरिकी सीनेट ने जो बाइडन के 1.2 लाख करोड़ डॉलर के इन्फ्रा विधेयक को मंजूरी दी, जिससे न केवल बड़ी राजनीतिक जीत की राहत तैयार करेगा बल्कि आर्थिक बहाली को भी बल देगा।
बहरहाल गति शक्ति में 70 प्रतिशत से ज्यादा निवेश सरकार की ओर से होगा, भले ही इस योजना में निजी क्षेत्र की पूंजी और कुशलता के इस्तेमाल को शामिल करके योजना बनाई गई है।
बहरहाल सकल घरेलू उत्पाद का अनुमान बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की व्यवहार्यता पर निर्भर होगा। इसके अलावा राज्यों और केंद्र की राजकोषीय स्थिति उनकी वित्तपोषण की क्षमता को सीमित कर रही है। वहीं निजी क्षेत्र की कुछ कंपनियां, खासकर बिजली कारोबार में लगी कंपनियां, कर्ज निपटाने में लगी हैं और ऋण मुक्ति तक पहुंचने के बाद अक्षय ऊर्जा क्षेत्र में निवेश बढऩे की संभावना है।
इसी तरह से राष्ट्रीय राजमार्गों के निर्माण में ज्यादा निजी व संस्थागत निवेश आने की संभावना है क्योंकि भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को अत्यधिक छूट दी गई है।
क्रिसिल रेटिंग्स की हाल की रिपोर्ट के मुताबिक मजबूत ऑर्डर बुक और परियोजना पर काम में सुधार और केंद्र सरकार की ओर से बुनियादी ढांचे में व्यय को समर्थन मिलने से बड़ी और विविधीकृत इंजीनियरिंग, खरीत और निर्माण कंपनियों को पटरी पर आने में मदद मिलेगी और उनका राजस्व बढ़ेगा।