भारतीय रेलवे ने सुस्त रफ्तार जारी रखते हुए दिसंबर में माल ढुलाई में 3 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की है। इससे वित्त वर्ष की पूरी तिमाही में सुस्त वृद्धि दर का पता चलता है। इससे पहले रेलवे ने रिकॉर्ड ढुलाई की थी। रेल मंत्रालय ने कहा, ‘दिसंबर 2022 के दौरान माल ढुलाई 1,306.6 लाख टन रही है, जबकि दिसंबर 2021 में 1,268 लाख टन ढुलाई हुई थी। पिछले साल की समान अवधि की तुलना में इसमें 3 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। माल ढुलाई से आने वाला राजस्व 14,573 करोड़ रुपये हुआ है, जबकि दिसंबर 2021 में 12,914 करोड़ रुपये राजस्व आया था। इसमें पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 13 प्रतिशत सुधार हुआ है।’
रेलवे की माल ढुलाई में अक्टूबर और नवंबर में क्रमशः 1 प्रतिशत और 5 प्रतिशत वृद्धि हुई थी। जिंस के मुताबिक ढुलाई के दिसंबर के आंकड़े अभी उपलब्ध नहीं हैं। वित्त वर्ष 23 में कुल मिलाकर अब तक 11,093.8 लाख टन वस्तुओं की ढुलाई हुई है, जबकि पिछले साल की समान अवधि में 12,299.6 लाख टन ढुलाई हुई थी। इसमें कुल मिलाकर 8 प्रतिशत वृद्धि हुई है। रेलवे ने दिसंबर तक माल ढुलाई से 1.2 लाख करोड़ रुपये की कमाई की है और सालाना आधार पर इसमें 16 प्रतिशत वृद्धि हुई है।
कच्चे माल की ढुलाई की मात्रा सुस्त रही है, वहीं रेलवे ने विविध और तैयार माल की श्रेणी में ढुलाई तेज की है। इस तरह से रेलवे का कहना है कि प्रतिस्पर्धी दर पर सेवा की डिलिवरी की वजह से रेलवे को परंपरागत और गैर परंपरागत दोनों क्षेत्रों से ढुलाई मिल रही है। विशेषज्ञों ने कहा कि रेलवे को माल ढुलाई का लक्ष्य पूरा करने के लिए 10 प्रतिशत सीएजीआर बरकरार रखने की जरूरत होगी, जैसा कि नैशनल रेल प्लान में परिकल्पित किया गया है।
केंद्र सरकार रेलवे की ढुलाई में उल्लेखनीय वृद्धि करना चाहती है, जिससे 2030 तक कुल माल ढुलाई में हिस्सेदारी 45 प्रतिशत हो जाए। सरकार के अनुमान के मुताबिक 2026 तक माल ढुलाई की कुल मांग 63,000 लाख टन और 2031 तक 82,200 लाख टन होगी। एनआरएस का लक्ष्य पूरा करने के लिए रेलवे को 2031 तक 36,000 लाख टन ढुलाई करनी होगी। निकट अवधि के हिसाब से रेलवे को 2024 तक 20,000 लाख टन से ज्यादा ढुलाई का लक्ष्य हासिल करना है।