जीवीए में वेतन का हिस्सा1992-93 के बाद सबसे ज्यादा

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 12, 2022 | 7:02 AM IST

फैक्टरियों के सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में कर्मचारियों, सुपरवाइजरों और प्रबंधकों पर आने वाले खर्च का हिस्सा 1992-93 के बाद से बढ़कर इस समय सबसे ज्यादा स्तर पर पहुंच चुका है। उद्योग के हाल में जारी आधिकारिक आंकड़ों के विश्लेषण से यह जानकारी मिलती है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय की ओर से जारी उद्योगों के वार्षिक सर्वे (एएसआई) के मुताबिक 2018-19 में फैक्टरी जीवीए का 30 प्रतिशत से ज्यादा वेतन और मजदूरी पर खर्च हुआ। इस दौरान जीवीए में मुनाफे का हिस्सा पिछले एक दशक में सबसे कम हो गया है, जबकि 2018-19 में ब्याज भुगतान पर आने वाले खर्च में मामूली गिरावट आई है।
अर्थशास्त्रियों का कहना है कि इसकी कुछ वजहें हो सकती हैं और यह जानना कठिन है कि इसमें किसका कितना योगदान है। डॉ बीआर अंबेडकर स्कूल आफ इकनॉमिक्स (बीएएसई) यूनिवर्सिटी, बेंगलूरु के कुलपति एनआर भानुमूर्ति ने कहा, ‘ऐसे समय में जब मजदूरों की भागीदारी घट रही है, औपचारीकरण बढऩे का असर हो सकता है। इसके अलावा इस साल सरकारी कंपनियों में 7वें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू की गईं, जिनकी एएसआई में बड़ी हिस्सेदारी है।’  
एएसआई फैक्टरियों का देशव्यापी सर्वे है, जिनमें 10 सा इससे ज्यादा व्यक्ति काम करते हैं और उनमें बिजली का इस्तेमाल होता है और ऐसे प्रतिष्ठान, जो बिजली का इस्तेमाल नहीं करते और वहां 20 या इससे ज्यादा लोग काम करते हैं। इसके नमूने का आकार करीब 78,000 फैक्टरियां हैं। एएसआई आंकड़ों के मुताबिक सूचीबद्ध कंपनियों के अलावा इसमें बहुत अहम निजी क्षेत्र या निजी फर्में शामिल हैं, जो सूचीबद्ध नहीं हैं और सूचीबद्ध कंपनियों का दोगुना या इससे ज्यादा कर्मचारी इनमें काम करते हैं।
यह अवलोकन उपलब्ध आंकड़ों के प्राथमिक सार-संक्षेप के आधार पर है। बहरहाल एनएसओ ने कुछ मानकों की परिभाषा में बदलाव किया है, जिनका इस्तेमाल इनपुट लागत की गणना में होता है और तुलनात्मक आंकड़ों पर इसका असर हो सकता है।
बिजनेस स्टैंडर्ड ने बदलाव को लेकर एनएसओ के औद्योगिक सांख्यिकी विभाग से प्रतिक्रिया के लिए संपर्क साधा, लेकिन इसका कोई जवाब नहीं मिल पाया।
राष्ट्रीय आय लेखा से पता चलता है कि अर्थव्यवस्था का जीवीए 2018-19 में नॉमिनल टर्म में 10.5 प्रतिशत बढ़ा है। बहरहाल एएसआई आंकड़ों से पता चलता है कि फैक्टरी जीवीए वृद्धि 4.7 प्रतिशत पर स्थिर हो गया। नॉमिनल जीवीए वृद्धि में 2012-13 के 11.3 प्रतिशत के बाद से लगातार गिरावट आ रही है।
विश्लेषण से पता चलता है कि वित्त वर्ष 19 में फैक्टरियों के लिए वित्त की लागत लगातार बढ़ी है। औसतन विनिर्माण कंपनी ने वित्त वर्ष 19 के दौरान बकाया कर्ज पर 14.8 प्रतिशत ब्याज का भुगतान किया है।

First Published : March 14, 2021 | 11:27 PM IST