अमेरिकी मुद्रास्फीति का आंकड़ा अनुमान से कम रहने की वजह से गुरुवार को जहां सरकारी बॉन्ड कीमतों में तेजी आई, वहीं भारतीय रुपये में सुधार दिखा। अमेरिकी मुद्रास्फीति 3 प्रतिशत पर रही, जिससे इन अटकलों को बढ़ावा मिला है कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व अपने दर वृद्धि चक्र को समाप्त कर सकता है। इसके परिणामस्वरूप, अमेरिकी डॉलर में पांच महीने की अपनी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। अमेरिकी डॉलर में यूरो के मुकाबले 1 प्रतिशत से ज्यादा की कमजोरी आई।
कारोबारियों का मानना है कि अमेरिका की दर निर्धारण समिति जुलाई में फंड रेट में 25 आधार अंक तक का इजाफा कर सकती है, हालांकि डीलरों का कहना है कि अगस्त या सितंबर में दूसरी दर वृद्धि का अनुमान कमजोर पड़ गया है।
गुरुवार को रुपया 18 पैसे मजबूत हुआ और उतार-चढ़ाव भरे कारोबार के बीच अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.07 पर बंद हुआ। डॉलर के मुकाबले रुपये 28 पैसा चढ़कर खुला था। डॉलर सूचकांक गिरकर 100.44 पर आ गया। रुपये ने दिन के दौरान 81.95 का ऊंचा स्तर छुआ।
डॉलर सूचकांक 6 मुख्य मुद्राओं की तुलना में अमेरिकी डॉलर के प्रदर्शन का मापक है।
डीलरों का कहना है कि हालांकि, भारतीय करेंसी ने अपनी शुरुआती बढ़त कुछ हद तक गंवा दी, क्योंकि आयातकों ने तेल कंपनियों के लिए डॉलर खरीदे। इसी वजह से कच्चे तेल की कीमत गुरुवार को 80 डॉलर प्रति बैरल के स्तर को पार कर गई।
ताजा आंकड़े से पता चलता है कि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 30 तक 595 अरब डॉलर था।
फिनरेक्स ट्रेजरी एडवायजर्स के प्रमुख अनिल कुमार भंसाली ने कहा, ‘जहां डॉलर सूचकांक में गिरावट आई, वहीं रुपया 81.97 प्रति डॉलर पर चढ़कर खुला और 82.75 पर बिक्री के बाद 81.95 प्रति डॉलर पर आरबीआई द्वारा खरीदारी की गई।’
वहीं, मुद्रास्फीति का आंकड़ा जारी होने के बाद सरकारी बॉन्डों में तेजी दर्ज की गई। एक डीलर ने कहा, ‘अमेरिकी आंकड़ा लंबे समय बाद नरम आया है और घरेलू तौर पर मुख्य मुद्रास्फीति में कमी आई है।’