वित्त मंत्रालय ने आज कहा कि कोरोना महामारी की दूसरी लहर से चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में गिरावट आने का खतरा है। मगर अर्थव्यवस्था पर इसका असर पहली लहर के मुकाबले कम रहने की उम्मीद है।
वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग ने अप्रैल की अपनी मासिक आर्थिक समीक्षा में कहा है, ‘दूसरी लहर में दैनिक संक्रमण के मामले काफी ज्यादा हैं और रोजाना मौत के आंकड़े भी बढ़ रहे हैं जो अर्थव्यवस्था के पटरी पर आने में चुनौती बन रहे हैं।’
संक्रमण में तेजी के कारण राज्यों को अपने स्तर पर लॉकडाउन और पाबंदियां लगानी पड़ी हैं, जिससे वित्त वर्ष 2022 की पहली तिमाही में वृद्घि कम होने का जोखिम बना हुआ है। लेकिन हालांकि अर्थव्यवस्था पर कुल प्रभाव पहली लहर की तुलना में मामूली रहने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्थानीय लॉकडाउन के कारण अर्थिक गतिविधियों के प्रमुख संकेतकों ई-वे बिल और बिजली की खपत में अप्रैल के दूसरे पखवाड़े में कुछ कमी आई है।
मंत्रालय की रिपोर्ट उस समय आई है, जब वैश्विक रेटिंग एजेंसियों फिच रेटिंग्स और एसऐंडपी ग्लोबल रेटिंग्स ने भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्घि दर का अनुमान घटा दिया है। फिच ने वृद्घि अनुमान घटाकर 9.5 फीसदी और एसऐंडपी ने 9.8 फीसदी कर दिया है।
खजाने की स्थिति की बात करते हुए मंत्रालय ने कहा कि वित्त वर्ष 2021 की दूसरी छमाही के दौरान आर्थिक गतिविधियों में सुधार से केंद्र सरकार के राजस्व में भी इजाफा हुआ है। अंतरिम आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2021 में शुद्घ प्रत्यक्ष कर संग्रह संशोधित अनुमान से 4.5 फीसदी और वित्त वर्ष 2020 के संग्रह से 5 फीसदी ज्यादा रहा है। शुद्घ अप्रत्यक्ष कर संग्रह भी वित्त वर्ष 2021 के संशोधित अनुमान से 8.2 फीसदी अधिक और वित्त वर्ष 2020 की तुलना में 12.3 फीसदी ज्यादा रहा है।
वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) संग्रह पिछले छह महीने में हर बार 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक रहा, जो आर्थिक सुधार का संकेत है। अप्रैल में जीएसटी संग्रह ने 1.41 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचकर रिकॉर्ड बनाया।
हालांकि महामारी ने बाजार पर असर डाला है और अप्रैल में निफ्टी 0.4 फीसदी तथा सेंसेक्स 1.5 फीसदी नीचे आया है। डॉलर के मुकाबले रुपये में भी 2.3 फीसदी की नरमी आई है। अप्रैल में देसी बाजारों में जो भी विदेशी पोर्टफोलियो निवेश (एफपीआई) आया, उसके मुकाबले कुल 1.18 अरब डॉलर अधिक एफपीआई बाहर चला गया। मगर भारतीय रिजर्व बैंक के तरलता समर्थन से देश में वित्तीय स्थितियां सहज बनी हुई हैं।
इस बीच औद्योगिक उत्पादन में मिला-जुला रुझान रहा है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक पिछले साल फरवरी के मुकाबले इस फरवरी में 3.6 फीसदी गिरा और इस साल जनवरी के मुकाबले उसमें 3.9 फीसदी गिरावट आई। मगर बुनियादी उद्योगों का उत्पादन इस साल मार्च में पिछले मार्च के मुकाबले 6.8 फीसदी बढ़ गया।
