अर्थव्यवस्था

अगस्त में खुदरा महंगाई 7 फीसदी से नीचे, त्योहारों से पहले राहत

जुलाई में औद्योगिक उत्पादन बढ़ने से भी सरकार को मिली राहत

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शिवा राजौरा   
Last Updated- September 12, 2023 | 11:16 PM IST

सरकार को त्योहारों से ऐन पहले आर्थिक मोर्चे पर राहत भरी खबर मिली क्योंकि अगस्त में खुदरा महंगाई 7 फीसदी से नीचे आ गई। साथ ही जुलाई में औद्योगिक उत्पादन भी पांच महीने के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गया। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) से आज जारी आंकड़ों में पता चला कि उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित खुदरा मुद्रास्फीति अगस्त में घटकर 6.83 फीसदी रह गई।

जुलाई में 7.44 फीसदी पर पहुंच गई थी, जो 15 महीनों में सबसे ऊंचा स्तर था। मगर सब्जियों, कपड़ों, जूतों, मकानों और सेवाओं के दाम घटने से महंगाई भी नीचे आ गई।

उधर औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) जुलाई में 5.7 फीसदी पर पहुंच गया, जो जून में केवल 3.7 फीसदी था। आईआईपी में इजाफा खनन क्षेत्र में 10.7 फीसदी, बिजली में 8 फीसदी और विनिर्माण में 4.6 फीसदी वृद्धि के कारण हुआ है।

भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने इसी महीने कहा था कि मुद्रास्फीति अगस्त में भी अधिक रह सकती है मगर खाद्य कीमतों में गिरावट के कारण सितंबर से यह नीचे आने लगेगी। हालांकि अगस्त लगातार दूसरा महीना रहा, जब मुद्रास्फीति केंद्रीय बैंक के 6 फीसदी के सहज स्तर से ऊपर रही। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति समिति ने पिछले महंगाई में इजाफे का खतरा नजरअंदाज कर दिया और सर्वसम्मति से रीपो दर 6.5 फीसदी ही बनाए रखी।

क्रिसिल के मुख्य अर्थशास्त्री डीके जोशी ने कहा, ‘हमें उम्मीद है कि रिजर्व बैंक समझेगा कि जुलाई-अगस्त में महंगाई सब्जियों के दाम चढ़ने की वजह से ऊपर गई थी और अक्टूबर में मौद्रिक नीति की समीक्षा के दौरान न तो रुख सख्त करेगा और न ही दर बढ़ाएगा।’

खाद्य मुद्रास्फीति जुलाई में 11.51 फीसदी थी, जो अगस्त में घटकर 9.94 फीसदी रह गई। जुलाई में महंगाई बढ़ाने वाली सब्जियों की कीमतें नीचे आ गईं। अगस्त में दाल, अनाज, दूध और तैयार भोजन की कीमतें भी घटीं मगर फल, चीनी, मसाले और अंडे तथा मांस में कुछ तेजी देखी गई।

खाद्य तथा ईंधन को हटाने के बाद मुख्य मुद्रास्फीति अगस्त में 5 फीसदी के आसपास रही। इसकी वजह कपडों तथा जूतों के दाम मे 5.15 फीसदी, मकानों में 4.38 फीसदी तथा विभिन्न सेवाओं में कमी आना रही। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि टमाटर की कीमतें एकदम घटने के बाद भी खाद्य महंगाई बरकरार रहने का अंदेशा है क्योंकि प्याज जैसी सब्जियों के दाम ज्यादा हैं तथा दाल समेत खरीफ फसल की बोआई कम हुई है।

केयर रेटिंग्स में मुख्य अर्थशास्त्री रजनी सिन्हा ने आगाह किया कि कच्चे तेल के अंतरराष्ट्रीय दाम बढ़ना भी चिंता की बात है। मगर उन्होंने कहा कि थोक मुद्रास्फीति में लगातार कमी आना राहत का सबब है क्योंकि आगे जाकर इसका असर खुदरा मुद्रास्फीति पर भी पड़ेगा।

आईआईपी में 23 विनिर्माण उद्योगों में से नौ जुलाई में कमजोर रहे। इनमें परिधान, लकड़ी, कागज, रसायन और इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं। मगर विनिर्मित वस्तुओं के उत्पादन में 11.4 फीसदी का इजाफा दर्ज किया गया। पूंजीगत वस्तुओं का उत्पादन 4.6 फीसदी ही बढ़ा मगर कंज्यूमर नॉन-ड्यूरेबल्स का उत्पादन 7.4 फीसदी चढ़ गया, जिससे पता चलता है कि ग्रामीण क्षेत्रों में मांग लौटने लगी है।

अलबत्ता कंज्यूमर ड्यूरेबल्स क्षेत्र में लगातार दूसरे महीने गिरावट आई, जिससे लगता है कि ऊंची ब्याज दरें शहरों में खरीदारी के आड़े आ रही हैं।

First Published : September 12, 2023 | 11:16 PM IST