भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) बुधवार को रीपो दर 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर सकती है। मुद्रास्फीति को केंद्रीय बैंक के 4 फीसदी के लक्षित दायरे में लाने के लिए एमपीसी रीपो दर में लगातार इजाफा कर रही है।
इस हफ्ते मौद्रिक नीति को और सख्त किया जा सकता है लेकिन पिछले कुछ महीनों से देश में मुद्रास्फीति नीचे आई है और यह आरबीआई के 2 से 6 फीसदी के सहज दायरे के भीतर रही है। ऐसे में एमपीसी दर में आगे बढ़ोतरी रोकने के संकेत भी दे सकती है।
रीपो दर पर बिज़नेस स्टैंडर्ड के सर्वेक्षण में 10 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया। इस सर्वेक्षण के औसत के अनुसार एमपीसी आगामी बैठक में रीपो दर 25 आधार अंक बढ़ाकर 6.50 फीसदी कर सकती है। इससे रीपो दर फरवरी, 2019 के बाद उच्चतम स्तर पर पहुंच जाएगी।
सर्वेक्षण में शामिल केवल दो प्रतिभागियों ने दर वृद्धि थमने का अनुमान लगाया है और अन्य सभी ने एकमत से रीपो दर में 25 आधार अंक बढ़ोतरी पर सहमति जताई। एमपीसी मई, 2022 से रीपो दर में कुल 225 आधार अंक का इजाफा कर चुकी है।
दिलचस्प है कि सर्वेक्षण में शामिल प्रतिभागियों की राय मौद्रिक नीति पर रुख में संभावित बदलाव के बारे में बंटी हुई थी। चार संस्थानों ने उम्मीद जताई कि मौद्रिक नीति का रुख तटस्थ हो सकता है और चार अन्य का अनुमान था कि एमपीसी ‘समायोजन को वापस’ लेने के अपने रुख पर कायम रह सकती है।
पिछले कुछ महीनों से वैश्विक स्तर पर देखा गया है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक वृद्धि को ज्यादा नुकसान पहुंचाए बिना मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए दर में अपेक्षाकृत कम बढ़ोतरी करना चाह रहे हैं।
दिसंबर में एमपीसी ने रीपो दर में 35 आधार अंक की वृद्धि की थी, जबकि इससे पहले तीन बार में 50-50 आधार अंक का इजाफा किया गया था। अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने भी दर वृद्धि की रफ्तार में खासी कटौती की है।
भारतीय स्टेट बैंक समूह के मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने कहा, ‘अब दुनिया भर में दर वृद्धि के तूफान का शोर थमता दिख रहा है। केंद्रीय बैंक अब दर वृद्धि में ठहराव या कम बढ़ोतरी की दिशा में आगे बढ़ने पर विचार कर रहे हैं। हालांकि हर देश को अपनी स्थिति देखकर इस दिशा में कदम आगे बढ़ाना चाहिए। हम फिर से तूफान नहीं उठने दे सकते।’
विश्लेषकों का कहना है कि जून से अक्टूबर, 2022 के दौरान रुपये में काफी उतार-चढ़ाव देखा जा रहा था, लेकिन अब उसमें स्थिरता आई है और मुद्रास्फीति भी कम हुई है। ऐसे में एमपीसी के पास अपने अनुमान को आकार देने की गुंजाइश है।
बार्कलेज में प्रबंध निदेशक और भारत में मुख्य अर्थशास्त्री राहुल बाजोरिया ने कहा, ‘मेरा विचार है कि मौद्रिक नीति का रुख संभवत: तटस्थ से हल्का सतर्क वाला हो सकता है।’
बार्कलेज के राहुल बाजोरिया उम्मीद है कि एमपीसी मुद्रास्फीति के अनुमान को भी कम कर सकती है, जिसे अगले वित्त वर्ष की पहली छमाही में 30 से 50 आधार अंक कम किया जा सकता है।
उन्होंने कहा, ‘दर में वृद्धि की फौरी जरूरत अब घट गई है और अनुमान में भी यह बात झलकनी चाहिए। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने भी हाल में कहा था कि मुद्रा और मुद्रास्फीति के संकट का दौर अब बीतना शुरू हो चुका है।’
दिसंबर में एमपीसी ने अप्रैल-जून 2023 तक खुदरा मुद्रास्फीति के 5 फीसदी और जुलाई-सितंबर में 5.4 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था। आरबीआई के विचार दर वृद्धि रोकने का संकेत देते हैं, लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि केंद्रीय बैंक से फिलहाल मौद्रिक नीति में नरमी के संकेत की उम्मीद नहीं है। घरेलू अर्थव्यवस्था की वृद्धि की रफ्तार थोड़ी धीमी पड़ी है, लेकिन कई संकेतक बताते हैं कि अर्थव्यवस्था मजबूत बनी हुई है।
स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में आर्थिक शोध की प्रमुख (दक्षिण एशिया) अनुभूति सहाय ने कहा, ‘मेरी राय में रुख नहीं बदलेगा। एमपीसी मुद्रास्फीति पर सतर्कता बनाए रखेगी और जरूरत पड़ने पर दर वृद्धि का विकल्प भी बरकरार रहेगा।’