अर्थव्यवस्था

RBI Dividend: रिजर्व बैंक के सरकार को भारी लाभांश देने की क्या है वजह? अर्थशास्त्रियों ने समझाया

RBI Dividend: वित्त वर्ष 2024 में रिजर्व बैंक की डॉलर खरीद उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था की अच्छी सेहत के कारण पूंजी का प्रवाह बेहतर रहा है।

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मनोजित साहा   
Last Updated- May 24, 2024 | 11:14 PM IST

RBI surplus to government: सरकार को भारी लाभांश देने में भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को अमेरिकी ट्रेजरी बॉन्डों में मोटे निवेश और डॉलर की बिक्री से हुए भारी मुनाफे सहित कई वजहों से बल मिला है। रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए सरकार को 2.11 लाख करोड़ रुपये का रिकॉर्ड अधिशेष हस्तांतरित करने का फैसला किया है।

वित्त वर्ष 2024 में रिजर्व बैंक की डॉलर खरीद उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है, क्योंकि अर्थव्यवस्था की अच्छी सेहत के कारण पूंजी का प्रवाह बेहतर रहा है।

अर्थशास्त्रियों का कहना है कि अमेरिकी ट्रेजरी प्रतिभूतियों में जिन डॉलरों का निवेश किया गया था, उनका यील्ड अमेरिकी फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति की सख्ती के कारण बढ़ा और इसकी वजह से रिजर्व बैंक को विदेशी संपत्ति पर उल्लेखनीय ब्याज आय हासिल हुई।

2023-24 में रिजर्व बैंक का विदेशी मुद्रा भंडार 68 अरब डॉलर बढ़ा, जो पिछले 5 साल का उच्चतम स्तर है। 29 मार्च 2024 तक के आंकड़ों के मुताबिक भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 645.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया, जबकि 31 मार्च 2023 को 578.4 अरब डॉलर था।

एमके ग्लोबल फाइनैंशियल सर्विसेज लिमिटेड में लीड-इकॉनिमस्ट माधवी अरोड़ा ने कहा, ‘विदेशी (और घरेलू) संपत्तियों पर ब्याज से बहुत ज्यादा लाभ हुआ है। कम अवधि के विदेशी ट्रेजरी से अनुमानित भारित औसत यील्ड 220 से 250 आधार अंक बढ़ा है। विदेशी मुद्रा संपत्तियों की होल्डिंग का भी विस्तार हुआ है।’

रिजर्व बैंक ने 31 मार्च 2024 के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिकी ट्रेजरी में 240.6 अरब डॉलर का निवेश किया है। अमेरिका के ट्रेजरी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक अक्टूबर और मार्च के बीच निवेश करीब 20 अरब डॉलर बढ़ा है।

घरेलू स्तर पर नकदी की स्थिति सितंबर 2023 से ही कमी की स्थिति में चली गई। केंद्रीय बैंक को रिकॉर्ड उच्च आय से लाभ हुआ। जब नकदी कमी की स्थिति में जाती है तो रिजर्व बैंक, बैंकों को कर्ज देता है और उससे ब्याज कमाता है।

भारतीय स्टेट बैंक के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्यकांति घोष ने कहा, ‘भारतीय रिजर्व बैंक की आमदनी में करीब 60 से 70 फीसदी की वृद्धि विदेशी प्रतिभूतियों पर मिलने वाली ब्याज की आमदनी से है। साथ ही विदेशी एक्सचेंज से लेनदेन में एक्सचेंज लाभ भी हुआ है। केंद्रीय बैंक को विदेशी मुद्रा से भी भारी लाभ हुआ है।’

उन्होंने कहा कि सोने की कीमत बढ़ने से भी रिजर्व बैंक को बैलेंस शीट बढ़ाने में मदद मिली। वित्त वर्ष 2022 में रिजर्व बैंक की आमदनी 1.6 लाख करोड़ रुपये थी, जबकि वित्त वर्ष 23 में यह बढ़कर 2.35 लाख करोड़ रुपये हो गई। घोष ने कहा कि वित्त वर्ष 24 में यह 3.75 से 4 लाख करोड़ रुपये रहने की संभावना है।

First Published : May 24, 2024 | 11:02 PM IST