अर्थव्यवस्था

RBI ने MPC बैठक में दिए सवालों के जवाब, कहा- हमें आगे के आंकड़ों पर रहना होगा सतर्क

RBI MPC Meet: हमें आगे के आंकड़ों और आउटलुक पर सतर्क रहना होगा। हमारा प्रयास रहेगा 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति का लक्ष्य हासिल करना है।

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बीएस संवाददाता   
Last Updated- February 08, 2024 | 11:21 PM IST

गवर्नर शक्तिकांत दास का शुरुआती भाषण: हम कई मुख्य बिंदुओं पर बात करना चाहेंगे। सबसे पहली बात तो यह है कि हमें आर्थिक गतिविधियां मजबूत बने रहने की उम्मीद है। हम वित्त वर्ष 2025 में 7 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि का अनुमान जता रहे हैं। साथ ही उपभोक्ता मूल्य मुद्रास्फीति में नरमी आ रही है। हमें आगे के आंकड़ों और आउटलुक पर सतर्क रहना होगा। हमारा प्रयास रहेगा 4 प्रतिशत मुद्रास्फीति का लक्ष्य हासिल करना। इसके अलावा आरबीआई तरलता का सक्रिय तौर पर प्रबं धन करता रहेगा। हमारी बहुआयामी और सक्रिय नीतियों ने मजबूत वित्तीय स्थायित्व बनाए रखने की दिशा में काम किया है। अर्थव्यवस्था का बाहरी क्षेत्र मजबूत बना हुआ है। चालू खाता घाटा काफी हद तक प्रबं धित होने का अनुमान है। साथ ही भारतीय रुपये की विनिमय दर स्थिर बनी हुई है।

आपने कहा है कि 250 आधार अंक का अंतर अभी भी है। बैंकरों का कहना है कि जमा दरें पहले ही 200-250 आधार अंक तक बढ़ी हैं और उधारी दरों में भी इजाफा हुआ है। आपकी आगे की योजना क्या है?

स्वामीनाथन जे: जमा पर दरें तेजी से बदली हैं और वे अब काफी बढ़ गई हैं। जहां तक उधारी दरों की हात है तो इनमें उतार-चढ़ाव में ज्यादा समय लगता है। हमारी नजर में इसके दो कारण हैं। पहला है उन ऋणों का अनुपात, जो बाहरी मानक से जुड़े होते हैं, जिन्हें हम ईबीएलआर लोन कहते हैं। ये अभी भी 50 प्रतिशत से कम हैं। एमसीएलआर या बेस रेट या फिक्स्ड रेट ऋणों जैसे अन्य मानकों के मामले में, बदलाव में समय लगता है। यही वजह है कि हम दरों से जुड़े बदलाव पूरी तरह होते नहीं देख रहे हैं। दूसरा कारण है कि ऋण में अपनी बाजार हिस्सेदारी बनाए रखने की चिंता में बैंक अपने मार्जिन को भी समायोजित करते हैं।

अगले साल की वृद्धि का अनुमान 7 प्रतिशत है जबकि सरकार ने नॉमिनल जीडीपी का लक्ष्य 10.5 प्रतिशत तक रखा है जिसका मतलब है कि मुद्रास्फीति अगले साल 3.5 प्रतिशत रहेगी। क्या आप वृद्धि को लेकर आशान्वित हैं या फिर सरकार अपने अनुमान में नरमी लाएगी?

एमडी पात्र: मैं सरकार की तरफ से जवाब देने का जोखिम नहीं उठाऊंगा लेकिन मेरा मानना है कि जीडीपी में जो जाता है, वह सीपीआई मुद्रास्फीति नहीं है, वह जीडीपी डिफ्लेटर है और यह हमेशा सीपीआई और डब्ल्यूपीआई का एक वेटेड कॉ म्बिनेशन होता है।

क्या आरबीआई ने पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ कदम उठाने में देर की? जब अनुपालन की समस्या का पता चल गया था तो आरबीआई ने पेटीएम का निदेशक मंडल नियुक्त करने पर विचार क्यों नहीं किया?

दास: हम हरेक नियमन इकाई को नियामक के नियमों का पालन करने के लिए पर्याप्त समय देते हैं। कभी कभी यह समय पर्याप्त से भी ज्यादा होता है। हम एक जिम्मेदार नियामक हैं, सुपरवाइजर हैं। अगर सब कुछ अनुकूल रहता तो हमें कार्रवाई की जरूरत क्यों पड़ती। आरबीआई एक जवाबदेह संस्था है।

स्वामीनाथन जे: नियामक के तौर पर हमारे पास विभिन्न समाधान हैं और यह आवश्यक नहीं कि हरेक समाधान को हर एक स्थिति में इस्तेमाल किया जाएगा। हम समस्या के आकार और अनुपात के साथ-साथ उस समाधान विकल्प का भी स्वयं आकलन करते हैं जिसका हमें अलग-अलग समय में उपयोग करना होगा।

First Published : February 8, 2024 | 11:21 PM IST