अर्थव्यवस्था

फरवरी में दरों में कटौती!

राव को उम्मीद है कि खाद्य वस्तुओं पर मौसम संबंधी असर के खत्म हो जाने के बाद समग्र मुद्रास्फीति 4-5 प्रतिशत के दायरे में सामान्य हो जाएगी।

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सुब्रत पांडा   
Last Updated- December 14, 2024 | 10:18 AM IST

उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति 5.48 फीसदी के स्तर पर आ गई है और ऐसी उम्मीद है कि आने वाले महीने में मुद्रास्फीति 6 प्रतिशत से नीचे ही रहेगी। ऐसे में अर्थशास्त्रियों और बाजार का मानना है कि भारतीय रिजर्व बैंक की दरें तय करने वाली मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) फरवरी में होने वाली बैठक में रीपो दर 25 आधार अंक दर की कटौती कर सकती है।

भारत की समग्र मुद्रास्फीति नवंबर में 6 फीसदी से नीचे आ गई है जो आरबीआई के मुद्रास्फीति को 2-6 फीसदी के दायरे में रखने के लक्ष्य के अनुरूप है। यह खाद्य कीमतों में कमी और अन्य कारकों के बीच अनुकूल आधार प्रभाव के कारण संभव हुआ है। कोर मुद्रास्फीति भी नवंबर में थोड़ी कम होकर 3.7 फीसदी हो गई जो पिछले महीने के 3.8 फीसदी से कम है। इसकी तुलना में समग्र मुद्रास्फीति अक्टूबर में 6.2 फीसदी के स्तर पर पहुंच गई जबकि सितंबर में यह 5.49 फीसदी थी।

भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष ने एसबीआई रिसर्च रिपोर्ट में लिखा, ‘हम उम्मीद कर रहे हैं कि आरबीआई फरवरी 2025 में दर में कटौती करेगा और दर कटौती चक्र में कुल 75 आधार अंकों की कटौती हो सकती है। मगर डॉलर में होने बदलाव से ऐसे निर्णय के प्रभावित होने की संभावना नहीं है जैसा कि वर्ष 2018 में हुआ था जब आरबीआई ने रुपये पर भारी दबाव होने के बावजूद दरों में बढ़ोतरी नहीं की थी।’

डीबीएस बैंक की कार्यकारी निदेशक और वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने भी इसी तरह के विचार व्यक्त किए और उन्होंने कहा, ‘हम फरवरी की बैठक में 25 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद कर रहे हैं और इस चक्र में कुल 75 आधार अंकों की कटौती की उम्मीद है। साथ ही हमारी नजर अमेरिकी डॉलर पर भी है।’

राव को उम्मीद है कि खाद्य वस्तुओं पर मौसम संबंधी असर के खत्म हो जाने के बाद समग्र मुद्रास्फीति 4-5 प्रतिशत के दायरे में सामान्य हो जाएगी। इससे आगे दरों में कटौती की गुंजाइश भी बनेगी खासतौर पर ऐसे वक्त में जब देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि जुलाई-सितंबर तिमाही में सात तिमाही के निचले स्तर 5.4 फीसदी पर आ गई है।

नोमुरा के मुताबिक दैनिक डेटा से अंदाजा मिलता है कि दिसंबर की सीपीआई मुद्रास्फीति भी सालाना स्तर पर 5.5 फीसदी की रफ्तार से आगे बढ़ रही है जबकि कोर मुद्रास्फीति को कम होकर 3.6 फीसदी के स्तर पर होना चाहिए। उम्मीद है कि आगे खाद्य मुद्रास्फीति में कमी आनी चाहिए और इसके साथ ही वस्तुओं और सेवाओं में महंगाई के कारक लगातार मुख्य मुद्रास्फीति में कमी के संकेत देते हैं।

हाल में 6 दिसंबर को हुई बैठक में एमपीसी ने सुझाव दिया था कि भले ही अक्टूबर में खाद्य मुद्रास्फीति में तेजी के चलते महंगाई दर 6 फीसदी के उच्चतम दायरे से ऊपर चली गई थी लेकिन इस वित्तीय वर्ष की तीसरी तिमाही में खाद्य मुद्रास्फीति का दबाव बने रहने की संभावना है। हालांकि मौसम के चलते सब्जियों की कीमतों में सुधार होने, खरीफ फसलों की आवक और रबी फसलों के संभवतः बेहतर उत्पादन और पर्याप्त अनाज भंडार के चलते चौथी तिमाही में इसमें कमी आने लगती है।

First Published : December 14, 2024 | 10:18 AM IST