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लाल सागर संकट की समीक्षा करेगा PMO, बढ़े किराये और बीमा लागत को लेकर निर्यातकों को मदद की संभावना नहीं

Red Sea Crisis : ईरान समर्थित यमन के हूती विद्रोहियों ने लाल सागर इलाके में कई बार जहाजों पर हमला किया है। इसकी वजह से वाणिज्यिक पोतों को लंबा मार्ग तय करना पड़ रहा है।

Last Updated- February 08, 2024 | 10:06 PM IST
Exports will increase due to government measures, shipping corporation will run big container ships; Reduction in port charges also सरकार के उपायों से बढ़ेगा निर्यात, शिपिंग कॉरपोरेशन बड़े कंटेनर जहाज चलाएगी; बंदरगाह शुल्क में भी कटौती

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के शीर्ष अधिकारी आने वाले सप्ताह में लाल सागर क्षेत्र में चल रहे संकट और व्यापार व लॉजिस्टिक्स पर पड़ने वाले उसके असर की समीक्षा कर सकते हैं। इस मामले से जुड़े एक व्यक्ति ने यह जानकारी दी।

वाणिज्य विभाग के वरिष्ठ अधिकारी सोमवार को इस मसले पर प्रधानमंत्री कार्यालय के अधिकारियों से मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि बढ़े किराये और बीमा लागत को लेकर निर्यातकों को कोई सहयोग या प्रोत्साहन मिलने की संभावना नहीं है।

इस सप्ताह की शुरुआत में वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने वाणिज्य विभाग के अधिकारियों के साथ लंबी बैठक की थी। साथ ही उन्होंने दूसरे मंत्रालयों के अधिकारियों के साथ भी बैठक की अध्यक्षता की थी, जिसमें रक्षा, विदेश, जहाजरानी और वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के अधिकारी शामिल थे।

ईरान समर्थित यमन के हूती विद्रोहियों ने लाल सागर इलाके में कई बार जहाजों पर हमला किया है। इसकी वजह से वाणिज्यिक पोतों को लंबा मार्ग तय करना पड़ रहा है, जिससे इस क्षेत्र के संकट से बचा जा सके। इसके कारण माल ढुलाई की लागत बढ़ी है, क्योंकि केप ऑफ गुड होप के रास्ते जाने पर ढुलाई की अवधि करीब 20 दिन बढ़ी है। ढुलाई की लागत बढ़ने के साथ बीमा प्रीमियम भी बढ़ा है। पिछले सप्ताह वित्त मंत्रालय ने कहा कि ढुलाई की लागत बढ़ने से ऊर्जा की कीमत बढ़ सकती है।

लाल सागर महत्त्वपूर्ण है क्योंकि कंटेनरों की वैश्विक आवाजाही में से 30 प्रतिशत और वैश्विक व्यापार में इसकी 12 प्रतिशत हिस्सेदारी है। यूरोप के साथ भारत का 80 प्रतिशत वाणिज्यिक कारोबार इस मार्ग से होता है। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जहाजें लंबा मार्ग तय कर रही हैं, लेकिन अब तक व्यापार पर बहुत मामूली असर है।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘सिर्फ एक चीज है कि माल ढुलाई की लागत बढ़ी है, लेकिन अन्य देशों जैसे वियतनाम और इंडोनेशिया के मामले में भी ऐसा हुआ है।’

अधिकारी ने कहा कि दिसंबर के कारोबार के आंकड़ों में इस व्यवधान का असर नजर नहीं आया, लेकिन सरकार अब निर्यात और आयात पर इसके असर को बारीकी से देख रही है।

क्रिसिल रेटिंग्स के मुताबिक लाल सागर संकट का विभिन्न क्षेत्रों पर अलग-अलग असर है। कृषि जिंसों व समुद्री खाद्य उत्पादों का कारोबार करने वालों पर उल्लेखनीय असर होगा क्योंकि ये खराब होने वाले सामान हैं और इन बढ़ी लागत का बोझ उठाने की इनकी क्षमता कम है। वहीं कपड़ा, रसायन और पूंजीगत वस्तुओं पर संभवतः तत्काल कोई असर नहीं पड़ेगा।

First Published - February 8, 2024 | 10:06 PM IST

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