संकटग्रस्त वाहन क्षेत्र जो इन दिनों जबरदस्त कमजोर मांग से जूझ रहा है, ने इस क्षेत्र के लिए प्रदर्शन से जुड़े प्रोत्साहन (पीएलआई) का स्वागत किया है। वाहन कल पुर्जा और वाहन क्षेत्र को सर्वाधिक करीब 57,000 करोड़ रुपये का प्रोत्साहन दिया गया है जो उन्नत सेल रसायन बैटरी, फार्मा, खाद्य उत्पादों और घरेलू वस्तुओं जैसे अन्य क्षेत्रों को दिए गए प्रोत्साहन के मुकाबले अधिक है।
देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में वाहन उद्योग का योगदान 7.1 फीसदी है और भारत के विनिर्माण जीडीपी में इसकी हिस्सेदारी करीब 49 फीसदी है। यह आंकड़ा वर्ष 2019 का है। 2019 में भारत का वाहन बाजार 38.1 लाख इकाइयों की बिक्री के साथ पांचवा सबसे बड़ा बाजार रहा। देश में वाहन क्षेत्र सर्वाधिक रोजगार प्रदाता क्षेत्रों में से एक है जो देश भर में करीब 2.9 करोड़ लोगों को रोजगार देता है।
केनिची आयुकावा ने कहा, ‘57,000 करोड़ रुपये के आवंटन से अगले पांच वर्ष में वाहन उद्योग को वैश्विक मूल्य शृंखला का हिस्सा बनने में मदद मिलेगी। भारतीय वाहन उद्योग में अपना विश्वास जताने के लिए हम भारत सरकार को धन्यवाद देते हैं। यह क्षेत्र काफी व्यग्रता के साथ इस योजना का इंतजार कर रहा था ताकि वह अपनी प्रतिस्पर्धात्मक क्षमता को बढ़ा सके और इस क्षेत्र की वृद्घि को अगले स्तर पर ले जा सके।’ इससे पहले सायम ने चेताया था कि पहले से जारी सुस्ती जो महामारी के कारण और अधिक जटिल हो गई है, के कारण नए निवेश आने में मुश्किल होगी और इसके कारण नौकरियों पर संकट आ सकता है। इस योजना से उद्योग को इस स्थिति को बदलने और नए निवेश को आकर्षित करने में मदद मिलेगी।
