एमेजॉन की तर्ज पर ई-मार्केटप्लेस तैयार करने की सरकार की ओर से की गई घोषणा को एक वर्ष से अधिक समय बीत गया है लेकिन अभी भी इसमें कोई उल्लेखीय प्रगति नहीं हुई है। इसके लिए न तो कारोबारी योजना बन पाई है और न ही तकनीकी साझेदार की तलाश ही पूरी हुई है। इसे फंड की कमी से भी जूझना पड़ रहा है। यह मार्केटप्लेस सभी उपभोक्ताओं के लिए तैयार की जानी है।
सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) मंत्री नितिन गडकरी द्वारा इसमें गहरी रुचि लिए जाने और प्रधानमंत्री की ओर से इसके लिए हरी झंडी मिलने के बावजूद यह पोर्टल अधर में लटका है। सूत्र ने बताया कि इसका काम अभी तक पूरा नहीं हो पाया है। मंत्री ने अगस्त 2019 में इस पोर्टल का नाम भारत क्राफ्ट रखा था।
शुरुआती अनुमान में बताया गया था कि इस परियोजना से 2 से 3 वर्ष की अवधि में सरकार को 10 लाख करोड़ रुपये का राजस्व प्राप्त होगा। एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा की शुरुआती अनुमान के बाद के विस्तृत अध्ययन में पता चला कि राजस्व का वास्तविक आंकड़ा अनुमान से काफी कम रह सकता है।
उन्होंने कहा, ‘प्राथमिक सिफारिश में यह बात कही जा रही है कि आदिवासी, ग्रामीण और छोटे कारोबारियों के उत्पादों को प्रदर्शित करने के लिए ई-मार्केटप्लेस की आवश्यकता है लेकिन बाजार सर्वेक्षणों से पता चला कि इन उत्पादों के लिए खरीदारों की रुचि उदासीन बनी रह सकती है। ऑनलाइन पर प्राथमिक उपभोक्ता गतिविधि का ध्यान ब्रांडों और मोलभाव करने पर है जो हो सकता है कि इस प्लेटफार्म पर इन उत्पादों के मामले में नहीं हो।’
उन्होंने कहा कि इसके मुकाबले के लिए बड़े स्तर पर प्रचार करने की आवश्यकता होगी और साइट पर विक्रेताओं को अपना व्यापार खड़ा करने के लिए सरकार को उनकी बढ़-चढ़कर मदद करनी होगी।
वेबसाइट के एक उपयुक्त डिजिटल प्रारूप तैयार करने के लिए पृष्ठभूमि का कार्य भी अभी तक पूरा नहीं हो पाया है क्योंकि उसके लिए तकनीकी साझेदारों का चयन करना एक चुनौती बनी हुई है। पहले एक निजी तकनीक डेवलपर का चुनाव करने की योजना थी लेकिन उसकी लागत अधिक होने के बाद एमएसएमई मंत्रालय ने भारतीय स्टेट बैंक से संपर्क कर उसे पोर्टल को संयुक्त रुप से तैयार करने और चलाने का प्रस्ताव रखा था। हाल ही में स्टेट बैंक ने कहा कि वह परिचालन के बैंकिंग पक्ष पर ध्यान देगा।
लेकिन बैंक ने 10 से 15 करोड़ डॉलर निवेश करने की इच्छा जताने के साथ ही अपनी शर्तें भी ला दी है। मंत्रालय की ओर से शुरू में बिजनेस टू कंजूमर मॉडल का सुझाव दिया गया था जबकि बैंक ने बिजनेस टू बिजनेस (बी2बी) ई-कॉमर्स मार्केटप्लेस पर जोर दिया है जो उसके निरीक्षण में होगा और एसबीआई ग्राहक इस पर अपने उत्पाद बेच सकेंगे।
सरकार में एक वरिष्ठ लोक नीति सलाहकार ने कहा, ‘अन्य बैंकों की तरह एसबीआई चाहता है कि पोर्टल पर एसबीआई ग्राहक के रूप में अधिक एमएसएमई आएं जिससे उसके बैंकिंग ऐप योनो को ताकत मिले। योनो पहले से ही ई-कॉमर्स प्लेटफार्म के तौर पर कार्य कर रहा है।’
