अर्थव्यवस्था

‘समग्र खुदरा महंगाई दर को मौद्रिक नीति का लक्ष्य और बेंचमार्क बने रहना चाहिए’

पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च 2026 के अंत तक होने वाली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे (एफआईटी) की दूसरी समीक्षा से पहले एक चर्चा पत्र जारी किया था

Published by
अंजलि कुमारी   
अनुप्रेक्षा जैन   
Last Updated- August 28, 2025 | 10:45 PM IST

बिज़नेस स्टैंडर्ड की रायशुमारी में शामिल सभी 10 अर्थशास्त्रियों ने कहा कि समग्र खुदरा महंगाई दर को मौद्रिक नीति का लक्ष्य और बेंचमार्क बने रहना चाहिए। अर्थशास्त्रियों का कहना है कि भारत अभी भी मध्य आय वाला देश है और नए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) बास्केट में भी खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी पर्याप्त होगी। पिछले सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक ने मार्च 2026 के अंत तक होने वाली मुद्रास्फीति लक्ष्यीकरण ढांचे (एफआईटी) की दूसरी समीक्षा से पहले एक चर्चा पत्र जारी किया था।

स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में इकनॉमिक्स रिसर्च की भारत की प्रमुख अनुभूति सहाय ने कहा, ‘हमारे विचार से समग्र महंगाई दर लक्ष्य होना चाहिए, क्योंकि भारत अभी भी निम्न मध्य आय वाली अर्थव्यवस्था है। यहां तक कि नए सीपीआई बॉस्केट में भी खाद्य पदार्थों की हिस्सेदारी 40 प्रतिशत के आसपास बनी रहेगी और यह उल्लेखनीय है।’ उन्होंने कहा कि मुख्य महंगाई दर (कोर इन्फ्लेशन) उस तरह से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले असर को समझ नहीं पाएगी  और दूसरी बात यह है कि खाद्य और ईंधन का असर महंगाई पर बहुत अधिक असर होता है।

अक्टूबर 2016 में शुरू की गई लचीली महंगाई दर लक्ष्य व्यवस्था के बाद 2016-2019 तक औसत महंगाई दर 4 प्रतिशत के लक्ष्य के आसपास रही। महामारी के फैलने और आपूर्ति श्रृंखला से जुड़े व्यवधानों के कारण 2020-21 और 2021-22 के दौरान कुछ तिमाहियों में महंगाई दर तय की गई ऊपरी सीमा से अधिक हो गई। रूस-यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद महंगाई दर फिर से अपने लक्ष्य से भटक गई और अप्रैल 2022 में 7.8 प्रतिशत पर पहुंच गई। कुल मिलाकर चर्चा पत्र के अनुसार, एफआईटी के 9 वर्षों में महंगाई दर का प्रदर्शन पहले तीन वर्ष और अंतिम तीन वर्ष लक्ष्य के अनुरूप रहे। बीच के तीन वर्षों में तय ऊपरी सीमा के पास रही, जिसकी वजह महामारी और रूस यूक्रेन संघर्ष है।

विभिन्न देशों के अनुभवों से पता चलता है कि महंगाई दर को लक्ष्य करने वाले करीब सभी देशों ने महंगाई के स्तर और विकास के चरण के बावजूद समग्र खुदरा महंगाई दर को लक्ष्य चुना है।  वर्तमान में युगांडा एकमात्र ऐसा देश है जो मुख्य महंगाई दर को लक्षित करता है।  यह पूछे जाने पर कि क्या महंगाई का 4 प्रतिशत लक्ष्य जारी रखा जाना चाहिए, 10 में से 9 अर्थशास्त्रियों ने हां कहा, जबकि बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा कि लक्ष्य कम से कम 5 प्रतिशत होना चाहिए। आईडीएफसी बैंक की मुख्य अर्थशास्त्री गौरा सेन गुप्ता ने कहा, ‘मौद्रिक नीति के लिए 4 प्रतिशत समग्र महंगाई दर लक्ष्य बना रहना चाहिए, जो विकसित देशों के साथ उत्पादकता अंतर के अनुरूप है।’

इस सवाल पर कि महंगाई दर की तय अधिकतम व न्यूनतम सीमा को संकुचित किया जाना चाहिए या बढ़ाया जाना चाहिए, बैंक ऑफ बड़ौदा ने कहा कि इसे संकुचित किया जाना चाहिए। वहीं आईसीआईसीआई सिक्योरिटीज प्राइमरी डीलरशिप ने कहा कि निचली सीमा (2 प्रतिशत) को बढ़ाया जा सकता है। अन्य सभी उत्तरदाताओं ने कहा कि 2 प्रतिशत घटबढ़ सीमा को बरकरार रखा जाना चाहिए। महंगाई दर के लक्ष्य को हटाए जाने और एक सीमा बनाए रखने के सवाल पर सभी उत्तरदाताओं ने कहा कि रिजर्व बैंक को लक्ष्य बनाए रखने की जरूरत है।

First Published : August 28, 2025 | 10:27 PM IST