वित्त वर्ष 2022-23 के दौरान 82.4 प्रतिशत कॉर्पोरेट सेवा इकाइयां प्राइवेट लिमिटेड कंपनियां थीं। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) द्वारा बुधवार को जारी भारत के सेवा क्षेत्र के अपने तरह के पहले सर्वे में यह बात सामने आई है। यह स्थिति निर्माण, ट्रेड व अन्य सेवाओं सहित सभी प्रमुख गतिविधियों की श्रेणियों में रही है।
‘पायलट स्टडी ऑन एनुअल सर्वे ऑफ सर्विस सेक्टर इंटरप्राइजेज (एएसएसएसई)’ नाम से यह सर्वे एनएसओ ने पिछले साल दो चरणों में मई 2024 से अगस्त 2024 और नवंबर 2024 से जनवरी 2025 के बीच कराया। इसमें वस्तु एवं सेवा कर नेटवर्क (जीएसटीएन) के आंकड़ों का इस्तेमाल उद्यमों की पहचान के लिए किया गया।
प्रायोगिक सर्वे के आंकड़ों से पता चलता है कि सिर्फ 8.5 प्रतिशत सेवा उद्यम ‘पब्लिक लिमिटेड कंपनी’ और 7.9 प्रतिशत उद्यम ‘लिमिटेड लाइबिलिटी पार्टनरशिप(एलएलपी)’ थे।
प्रायोगिक अध्ययन से यह भी पता चलता है कि भारत के सेवा क्षेत्र में बड़े उद्यमों का दबदबा है, जिनका कारोबार 500 करोड़ रुपये या इससे ज्यादा है। इनकी सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) में हिस्सेदारी दो तिहाई है, जबकि कुल मिलाकर सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी सिर्फ 2.8 प्रतिशत है।
पूंजीगत व्यय में बड़ी फर्मों की हिस्सेदारी 62.3 प्रतिशत और इतनी ही हिस्सेदारी नियत संपत्तियों में रही है। बकाया ऋण में इनका हिस्सा 36.1 प्रतिशत है और रोजगार देने के मामले में इनकी हिस्सेदारी 37 प्रतिशत से कम है।