अर्थव्यवस्था

OECD ने वित्त वर्ष 24 के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को बढ़ाकर 6 फीसदी किया

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असित रंजन मिश्र   
Last Updated- June 07, 2023 | 11:14 PM IST

आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (OECD) ने वित्त वर्ष 24 के लिए भारत के वृद्धि अनुमान को मामूली बढ़ाकर 6 प्रतिशत कर दिया है, जबकि पहले 5.9 प्रतिशत वृद्धि का अनुमान लगाया था। इसके साथ ही संगठन ने कमजोर वैश्विक मांग और मौद्रिक सख्ती की बाधाएं बरकरार रहने की बात दोहराते हुए कहा है कि चालू वित्त वर्ष में विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था पर इसका असर रहेगा।

अपने हाल के आर्थिक परिदृश्य में ओईसीडी ने कहा है, ‘2024 की दूसरी छमाही में महंगाई घटने और मौद्रिक नीति शिथिल होने के कारण परिवारों का विवेकाधीन खर्च बढ़ाने में मदद मिलेगी और यह फिर से गति पकड़ेगा। इसके साथ ही वैश्विक स्थिति में सुधार होने से आर्थिक गतिविधियों को गति देने में मदद मिलेगी और वित्त वर्ष 24-25 में रियल जीडीपी 7 प्रतिशत रहेगी।’

संगठन ने 2023 में वैश्विक जीडीपी वृद्धि 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है, जो 2020 के महामारी के अपवाद के अलावा वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से सबसे सुस्त वार्षिक वृद्धि दर है।

ओईसीडी ने कहा है कि कृषि उत्पादन उम्मीद से ज्यादा रहने और सरकार का खर्च बहुत ज्यादा होने के कारण वित्त वर्ष 23 के आखिर में भारत की वृद्धि दर 7.2 प्रतिशत रही, जो सकारात्मक संकेत है।

इसने कहा है, ‘ बहरहाल खासकर ऊर्जा और खाद्य की ज्यादा महंगाई दर और मौद्रिक सख्ती के कारण क्रय शक्ति और परिवारों की खपत खासकर शहरी इलाकों में कम है। वित्तीय बाजार की स्थिति कमजोर रहने के असर से पूंजीगत वस्तुओं की ऋण से समर्थित मांग कमजोर है, जो कारोबारी निवेशका बेहतर संकेतक है।’

अमीर देशों के समूह ने कहा है कि भारत के वृद्धि अनुमानों के ज्यादातर जोखिम कम हुए हैं। हालांकि इसमें चेतावनी दी गई है, ‘बैंकों का सॉल्वेंसी अनुपात और वित्तीय परिणाम सुधर रहा है और प्राधिकारियों ने ऋण के नुकसान के लिए प्रावधान बढ़ाए हैं और बैड बैंक स्थापित किया है। लेकिन बैंकों की संपत्ति की गुणवत्ता में किसी तरह की गिरावट से व्यापक वित्तीय स्थिरता को जोखिम हो सकता है।’

रिपोर्ट में कहा गया है, ‘2024 के चुनाव के कारण राजकोषीय समेकन में देरी हो सकती है। इससे व्यापार समझौतों को अंतिम रूप देने कठिन हो सकते हैं। सामान्य से कम मॉनसूनी बारिश से भी वृद्धि प्रभावित हो सकती है।

उधर भूराजनीतिक अस्थिरता घटने से आत्मविश्वास बढ़ सकता है और इसका सभी क्षेत्रों को लाभ हो सकता है और इससे प्रमुख साझेदारों के साथ उम्मीद से कहीं तेजी से मुक्त व्यापार समझौते पूरे हो सकते हैं।’

ओईसीडी ने कहा है कि महंगाई और बढ़ती ब्याज दरों की वजह से वैश्विक अर्थव्यवस्था के लिए यह साल और अगला वर्ष अनिश्चितताओं वाला रहेगा।

ओईसीडी के सदस्यों में 38 देश शामिल हैं। ओईसीडी ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद पुनरुद्धार यूक्रेन पर रूस के हमले के चलते ऊर्जा कीमतों में आई तेजी से प्रभावित होगा। ऐसे में महामारी-पूर्व के वर्षों की तुलना में वृद्धि कम रहेगी। 2013-2019 में औसत वैश्विक वृद्धि 3.4 प्रतिशत रही थी।

ओईसीडी ने कहा कि आगे का रास्ता जोखिमों भरा है। रूस-यूक्रेन युद्ध, विकासशील देशों में कर्ज संकट और ब्याज दरों में तेज बढ़ोतरी से बैंक और निवेशक प्रभावित हुए हैं।

हालांकि ओईसीडी का यह अनुमान मंगलवार को आए विश्व बैंक के आकलन से बेहतर है। विश्व बैंक का ताजा अनुमान है कि चालू साल में वृद्धि वृद्धि दर 2.1 प्रतिशत रहेगी। हालांकि यह विश्व बैंक के जनवरी के 1.7 प्रतिशत के अनुमान से अधिक है।

First Published : June 7, 2023 | 11:14 PM IST