क्रिप्टो को नियमन के दायरे में अकेले कोई देश नहीं ला सकता

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 9:24 PM IST

बीएस बातचीत

प्रधान आर्थिक सलाहकार संजीव सान्याल का कहना है कि वर्चुअल डिजिटल संपदा को नियमन के दायरे में लाने के लिए अंतरराष्ट्रीय कवायद की जरूरत है। 2021-22 की आर्थिक समीक्षा तैयार करने वाले सान्याल ने अरूप रॉयचौधरी से बातचीत करते हुए कहा कि निजीकरण नीति नहीं बदली है। प्रमुख अंश…
आर्थिक समीक्षा में 8-8.5 प्रतिशत रियल जीडीपी वृद्धि दर और बजट में वित्त वर्ष 23 के लिए 11.1 प्रतिशत नॉमिनल वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। इस हिसाब से आपका अनुमान ज्यादा आशावादी है, क्योंकि महंगाई को लेकर अभी कुछ दबाव होगा?
ध्यान रखें कि ये अनुमान एक ही टीम ने लगाए हैं और ऐसा अलग-अलग मकसद के लिए किया गया है। हम एक अनिश्चितता के दौर से गुजर रहे हैं। जैसा कि आप जानते हैं कि सभी अनुमान एक निश्चित धारणा के आधार पर है और इन धारणाओं का स्पष्ट उल्लेख किया गया है। ऐसे में यह कहना कि हमारे आंकड़े आशावादी हैं, थोड़ा अजीब लगता है। हम अन्य विश्वसनीय अनुमानों की तुलना में ज्यादा रू ढि़वादी हैं।

आगामी वर्ष में महंगाई को लेकर आपका क्या अनुमान है?
हमें कुछ चीजों को ध्यान में रखने की जरूरत है। इसमें से एक निश्चित रूप से तेल के दाम हैं, जिनमें उतार चढ़ाव बहुत ज्यादा है। हमारा यह अनुमान है कि यह 70 से 75 डॉलर प्रति बैरल पर रहेगा। पूर्वी यूरोप या पूर्व एशिया के भू राजनीति के बारे में अनुमान लगाने का कोई आधार नहीं है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय ऊर्जा संगठन व अन्य एजेंसियों की उपलब्ध सामग्री के आधार पर इस सीमा का अनुमान लगाया जा सकता है।
यह महंगाई का बाहरी स्रोत है। अन्य स्रोत भी हैं। सेमी कंडक्टर चिप, शिपमेंट में व्यवधान व अन्य मसले हैं। और इन सभी मामले में हमारी धारणा है कि समय बीतने के साथ खासकर साल की पहली छमाही में यह मसले हल होंगे। इसे अनुमान का आधार बनाया गया है। घरेलू स्थिति देखें तो हमारा आपूर्ति पक्ष गड़बड़ रहा है।

सरकार ने वर्चुअल डिजिटल संपत्तियों पर कर लगा दिया है, जबकि नियमन का अभी इंतजार है। आप इसे किस रूप में देखते हैं?
यह अन्य क्षेत्र से अलग नहीं है। अगर आप बड़ी मात्रा में पूंजीगत लाभ कमा रहे हैं, हमें लगता है कि इस पर कर लगाने की जरूरत है और हमने साफ किया है कि इस मामले में मौजूदा स्तर पर कर लगाने की जरूरत है। हमने ट्रांजैक्शन टैक्स भी लगाया है, जिससे हमारे पास सूचना हो। इसके बारे में तमाम दावे हैं कि यह क्षेत्र कितना अहम है, लेकिन कोई भी असल में नहीं जानता। ऐसे में जब हम कर लेना शुरू करेंगे तो इसकी मात्रा के बारे में कुछ पता चल सकेगा। हमें इसका नियमन करना होगा क्योंकि यथावत छोड़ देने का तरीका तर्कसंगत नहीं है। मुझे नहीं पता कि क्या होगा, यह कमजोर होगा या मजबूत होगा, कोई नहीं जानता, लेकिन यह बहुत साफ है कि एक देश ऐसा नहीं कर सकता। इस मामले में व्यापक स्तर पर समाधान निकालना होगा। हम इस मसले पर उच्चतम स्तर पर चर्चा कर रहे हैं, जिनमें जी20 व अन्य जगहें शामिल हैं। यह कवायद होगी कि ज्यादातर वित्त मंत्रालय और केंद्रीय बैंक इस पर सहमति बनाएं।

पिछली बार के विपरीत इस बार बजट में वित्त मंत्री ने निजीकरण शब्द का इस्तेमाल नहीं किया?
निजीकरण शब्द के इस्तेमाल के बारे में हमें कोई समस्या नहीं है। हमने यह बताया है कि हम क्या कर सकते हैं। एयर इंडिया साफ उदाहरण है कि इससे ज्यादा किया जाएगा। हम इस दिशा में कदम कदम बढ़ेंगे।

आलोचना हो रही है कि यह बजट मध्य वर्ग और कर देने वाले कर्मचारियों के लिए नहीं है?
अगर आप बुनियादी ढांचे में मोटा निवेश करते हैं, इससे तत्काल नौकरियों का सृजन होगा। इनमें से तमाम नौकरियां मध्य वर्ग के लिए होंगी। अगर आपके पास सीमित संसाधन है तो परिस्थितियों को देखते हुए आपको ऐसे ही उपाय करने होंगे।

क्या आगे कोई गुंजाइश बनने पर सरकार करों में कटौती करेगी?
हां, निश्चित रूप से। मैं हमेशा कम और आसान करों के पक्ष में रहा हूं। सरकार के अन्य तमाम सदस्यों का यही विचार है।

First Published : February 6, 2022 | 11:15 PM IST