उधारी लक्ष्य में कोई बदलाव नहीं

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 6:43 PM IST

केंद्र सरकार चालू वित्त वर्ष में 14.31 लाख करोड़ रुपये की सकल उधारी के अपने लक्ष्य पर टिकी रहेगी और पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में कटौती के बाद राजस्व में नुकसान होने के बावजूद वह उधारी नहीं बढ़ाएगी। एक शीर्ष सरकारी अधिकारी ने आज बताया कि उत्पाद शुल्क में कटौती और खाद्य तथा उर्वरक पर अधिक व्यय के बाद भी उधारी कार्यक्रम में किसी तरह की तब्दीली नहीं की जाएगी।
सरकार महंगाई के लक्ष्य में बदलाव करने के बारे में भी नहीं सोच रही है। नीति निर्माण से जुड़े अधिकारी ने बताया कि मुद्रास्फीति के लक्ष्य में संशोधन का अभी कोई प्रस्ताव नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि पूंजीगत व्यय के अपने वादे पूरे करने के लिए सरकार भारत की समेकित निधि से रकम निकालेगी। उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी बैंकों के निजीकरण की योजना पटरी पर है और इस साल निजीकरण हो सकता है।
नाम नहीं छापने की शर्त पर संवाददाताओं से बात करते हुए अधिकारी ने बताया कि रुपये और रूबल में व्यापार के मसले पर रूस के साथ बातचीत जारी है। इसके अलावा वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की दरें वाजिब बनाए जाने का काम कुछ समय बाद होगा। उन्होंने कहा, ‘अभी हमें बाजार से अतिरिक्त रकम उधार लेने की जरूरत नहीं दिखती। हम चालू वित्त वर्ष के लिए अपने उधारी कार्यक्रम पर बने रहेंगे।’ जब पूछा गया कि वित्त वर्ष 2022-23 में राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 6.4 फीसदी पर समेटने में सफलता मिलेगी तो अधिकारी ने कहा कि सरकार को इसका रास्ता तलाशना होगा।
केंद्र की इस वित्त वर्ष की पहली छमाही में बॉन्ड बाजारों से 8.45 लाख करोड़ रुपये उधार लेने की योजना है। पूरे वित्त वर्ष में कुल 14.31 लाख करोड़ रुपये उधार लिए जाएंगे। ईंधन पर उत्पाद शुल्क में कटौती के कारण राजस्व में करीब 85,000 करोड़ रुपये की कमी आएगी, जो केंद्र को ही झेलनी पड़ेगी क्योंकि उसने सड़क एवं बुनियादी ढांचा उपकर घटाया है। साथ ही रूस-यूक्रेन युद्घ के कारण जिंस की कीमतें चढऩे से उर्वरक सब्सिडी के मद में भी मोदी सरकार को 1.10 लाख करोड़ रुपये अधिक खर्च करने पड़ेंगे। प्रधानमंत्री गरीब कल्याण अन्न योजना को सितंबर तक बढ़ाने के कारण खाद्य सब्सिडी पर भी 80 हजार करोड़ रुपये ज्यादा खर्च होंगे। हालांकि खुदरा महंगाई तेजी से चढ़ रही है मगर अधिकारी ने बताया कि मध्यम अवधि में मुद्रास्फीति का 4 फीसदी का लक्ष्य संशोधित करने की कोई योजना नहीं है। जीएसटी की दरें वाजिब बनाने पर अधिकारी ने कहा कि महंगाई में उछाल के कारण इसमें कुछ समय लग जाएगा क्योंकि दरें सही करने में कुछ वस्तुओं पर कर बढ़ाना पड़ेगा। इस समय 5, 12, 18 और 28 फीसदी की दर से जीएसटी वसूला जाता है। दरों के केवल तीन स्लैब रखने पर विचार किया जा रहा है। अधिकारी ने कहा कि 2019 से ही इसके लिए सही समय नहीं आ पा रहा है।

First Published : May 26, 2022 | 12:23 AM IST