अर्थव्यवस्था

भारत में निजी पूंजी निवेश बढ़ाने पर ध्यान दें नई सरकार: राजीव मेमानी

भारतीय अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में, वैश्विक रुझानों से अलग नहीं: ईवाई के राजीव मेमानी

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राघव अग्रवाल   
Last Updated- May 17, 2024 | 11:18 PM IST

ईवाई इंडिया के चेयरपर्सन राजीव मेमानी ने सीआईआई वार्षिक बिज़नेस समिट 2024 के इतर बातचीत में राघव अग्रवाल से कहा कि नई सरकार को निजी कंपनियों के हाथों में अधिक पूंजी लाने के तरीकों पर विचार करना चाहिए। मुख्य अंशः

भारतीय अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति पर आप क्या सोचते हैं?

भारत की अर्थव्यवस्था बहुत अच्छी स्थिति में है। अगर हम सकल घरेलू उत्पाद, राजकोषीय घाटा, कर राजस्व वृद्धि और निजी निवेश की गति सहित सभी रुझानों को देखें तो सभी सही दिशा में हैं। मुझे लगता है कि यह बहुत अच्छी स्थिति है।

आपको लगता है कि हम वैश्विक अर्थव्यवस्था से अलग हो गए हैं?

नहीं, हम अलग नहीं हो सकते है। इसका मतलब यह नहीं है कि पूर्ण सहसंबंध है, लेकिन हां यदि एक मजबूत वैश्विक अर्थव्यवस्था होती, तो शायद हमारा विकास प्रतिशत अधिक होता। हमारी यह वृद्धि कई मायनों में बहुत मजबूत वैश्विक आर्थिक स्थितियों के बावजूद नहीं है।

वित्त मंत्री ने आज भारत में निजी पूंजी निवेश की आवश्यकता के बारे में बात की। क्या आप इसे जल्द होते देख रहे हैं?

निश्चित रूप से भारत में निजी निवेश पिछड़ रहा है। इसका एक कारण यह भी था कि वैश्विक महामारी के दौरान क्षमता का उतना उपयोग नहीं किया जा सका। दूसरा कारण है कि भारतीय कंपनियों में रुढ़िवादिता मौजूद है।

ऐसे दो खंड होंगे जो भारत में पूंजीगत व्यय को बढ़ावा देंगे। पहला, सेमीकंडक्टर और रक्षा जैसे वे क्षेत्र जहां भारत ने पहले हिस्सा नहीं लिया था। दूसरा पारंपरिक क्षेत्र। उदाहरण के लिए अगर आपका सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 7 से 8 फीसदी की दर से बढ़ रही है तो आपको स्टील क्षमता, सीमेंट क्षमता आदि बढ़ानी होगी।

भारतीय कंपनियों के लिए भी यह स्पष्ट होता जा रहा है कि आयात प्रतिस्थापन के बजाय भारत में विनिर्माण बढ़ाने और उसके जरिये प्रतिस्पर्धा बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करना होगा। इस कारण एमएसएमई में निवेश का एक और दौर आएगा। इसलिए, मैं इसके प्रति काफी आश्वस्त हूं कि अगले एक-दो वर्षों में निजी पूंजीगत व्यय वैश्विक महामारी से पहले वाले स्तर से अधिक होना चाहिए।

नई सरकार की शीर्ष प्राथमिकताएं क्या होनी चाहिए?

भारत की विनिर्माण गाथा को आगे बढ़ाना बहुत जरूरी होगा। इसके लिए फेम आदि नीतियों पर अधिक स्पष्टता की दरकार होगी। दूसरा, हमें उन तरीकों पर ध्यान देना होगा जिससे अधिक से अधिक पूंजी निजी क्षेत्र के पास आ सके। इसके लिए भी, नीतिगत हस्तक्षेप की आवश्यकता होगी, चाहे वह स्थानीय ऋण बाजार बनाना हो या यह देखना हो कि आप भविष्य निधि निवेश को कहां निर्देशित कर सकते हैं। कुछ रणनीतिक विनिवेशों से भी काफी गति मिल सकती है। यह एक या दो बैंकों अथवा कुछ कंपनियों के लिए भी हो सकता है।

तीसरा, स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में खासकर कौशल पर ध्यान देने की जरूरत है। चूंकि भारत पूंजी विस्तार की ओर अग्रसर है और अगर आप देखें कि आर्टिफिशिल इंटेलिजेंस (एआई) में क्या हो रहा है, तो यह आवश्यक हो जाता है। ऐसे में भारत दुनिया के लिए एक बहुत ही महत्त्वपूर्ण प्रतिभा का आधार हो सकता है।

कराधान के मोर्चे पर कोई फेरबदल?

कर पक्ष और कर रोक पर पूंजीगत लाभ को आसान किया जा सकता है। मैं जिसपर उत्साहित हूं वह यह है कि ट्रस्टों पर कैसे कर लगता है और यह कैसे सुनिश्चित किया जाएगा कि अधिक घरेलू संपत्ति परोपकारी गतिविधियों में जा रही है।

First Published : May 17, 2024 | 11:18 PM IST