मॉनसून की गड़बड़ चाल बढ़ाएगी महंगाई

Published by
बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 5:16 PM IST

नोमुरा की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर मॉनसून की गतिविधियां गति नहीं पकड़ती हैं और बारिश के वितरण में सुधार नहीं होता तो भारत में उच्च खाद्य कीमतों की वजह से महंगाई का दौर शुरू हो सकता है।  
खरीफ या गर्मी की फसल की बुआई के हिसाब से जुलाई अहम है। नोमुरा ने कहा कि जुलाई खत्म होने को है और इस समय मॉनसून सामान्य से 11 प्रतिशत ऊपर है, लेकिन भौगोलिक रूप से बारिश असमान है। दक्षिण व मध्य भारत में भारी बारिश हुई है, जबकि पूर्वोत्तर में कम हुई है वहीं पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से 15 प्रतिशत कम बारिश हुई है। नोमुरा का कहना है कि अगर अगस्त में बारिश होती है और भौगोलिक रूप से यह समान हो जाती है तो बुआई गति पकड़ सकती है, जिससे महंगाई काबू में रह सकती है।
नोमुरा में मुख्य अर्थशास्त्री अरुदीप नंदी ने कहा, ‘अभी चेतावनी देना जल्दबाजी होगी। हालांकि अगर बारिश का असमान वितरण जारी रहता है तो खाद्यान्न खासकर चावल का उत्पादन कम हो सकता है। इससे का कृषि सकल मूल्यवर्धन (जीवीए) नीचे जाने और खाद्य महंगाई ऊपर जाने का जोखिम है।’
रिपोर्ट में कहा गया है कि धान उगाए जाने वाले इलाकों में बारिश कम हुई है, वहां पिछले साल की समान अवधि की तुलना में रोपाई 17 प्रतिशत कम हुई है। दलहन का रकबा कुल मिलाकर बढ़ा है, लेकिन अरहर की बुआई पिछले साल की तुलना में 20 प्रतिशत कम है, वहीं मूंग का रकबा ज्यादा है। साथ ही मोटे अनाज, तिलहन और कपास का रकबा भी बढ़ा है। नोमुरा ने कहा है कि कुल मिलाकर खाद्यान्न का रकबा जुलाई के मध्य तक पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 4.6 प्रतिशत पीछे है।
क्वांटइको रिसर्च में अर्थशास्त्री युविका सिंघल ने कहा, ‘ धान की बुआई का रकबा पिछले साल की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम है। हालांकि  खबरों के मुताबिक गेहूं का स्टॉक बफर मानकों के आसपास है। वहीं दूसरी ओर सरकार ने प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के तहत सितंबर 2022 तक अनाज वितरण की प्रतिबद्धता जताई है। अगर धान का उत्पादन कम होता है तो निश्चित रूप से धान व गेहूं दोनों के दाम पर दबाव बढ़ने की संभावना है। इसकी वजह से आगे चल कर खाद्य महंगाई बढ़ सकती है।  लेकिन यह इस पर निर्भर करेगा कि आगे बारिश की स्थिति कैसी रहती है।’
हालांकि जून में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई दर 7.01 प्रतिशत रही है, जो मई में 7.04 प्रतिशत थी। जून लगातार छठा महीना है जब सीपीआई महंगाई रिजर्व बैंक के 2 से 6 प्रतिशत की सीमा से ऊपर चल रही है।  कोटक महिंद्रा बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने अनुराग बालाजी के साथ लिखे हाल के एक नोट में कहा है, ‘हमने वित्त वर्ष 2023 में सीपीआई महंगाई दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान बरकरार रखा है, जब तक कि वित्त वर्ष 23 की चौथी तिमाही में यह 6 प्रतिशत के नीचे नहीं आ जाती है। रुपये में गिरावट जारी है और जिंसों के वैश्विक दाम में तेजी बनी हुई है।’

First Published : July 27, 2022 | 1:05 AM IST