मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा टेक्सटाइल में निवेश

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बीएस संवाददाता
Last Updated- December 11, 2022 | 2:03 PM IST

टेक्सटाइल क्षेत्र के लिए बनी उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना के तहत मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 3,513 करोड़ रुपये का निवेश आया है। टेक्सटाइल, श्रम और कौशल विकास पर बनी संसद की स्थाई समिति की हाल की एक रिपोर्ट में यह सामने आया है। 
समिति ने मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) पर अपनी रिपोर्ट में कहा है कि टेक्सटाइल मंत्रालय ने इस साल की शुरुआत में सूचित किया था कि 67 आवेदकों में से 64 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिनका प्रस्तावित निवेश 17,798 करोड़ रुपये है। इन्हें पीएलआई योजना के तहत चयन समिति ने मंजूरी दी है। गुजरात में सबसे ज्यादा 13 परियोजनाएं आई हैं, जबकि मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा 3,513 करोड़ रुपये का निवेश प्रस्ताव आया है।
सरकार ने पिछले साल सितंबर में टेक्सटाइल उत्पादों के लिए पीएलआई योजना को मंजूरी दी थी, जिसका मकसद एमएमएफ अपैरल, एमएमएफ फैब्रिक्स, टेक्निकल टेक्सटाइल के उत्पादों को बढ़ावा देना, विनिर्माण क्षमता बढ़ाना और चुनिंदा एमएमएफ उत्पादों का निर्यात करना है। इस परियोजना के तहत 10,683 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया था।
समिति ने कहा है, ‘चुनी गई कंपनियां आकार व पैमाने को प्रमोट करने, प्रतिस्पर्धा और रोजगार सृजन के लिए निवेश की सीमा का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रोत्साहन पाने की पात्र होंगी और आर्थिक समस्या, खराब फाइबर, अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन न करने जैसी बाधाओं पर काबू पा सकेंगी।’
इस योजना के दो हिस्से हैं। पहले हिस्से के तहत न्यूनतम 300 करोड़ रुपये निवेश की जरूरत होगी और पहले साल में जरूरी कारोबार होने पर 15 प्रतिशत प्रोत्साहन दिया जाएगा। दूसरे हिस्से में न्यूनतम निवेश 100 करोड़ रुपये होगा और पहले साल जरूरी कारोबार होने पर 11 प्रतिशत प्रोत्साहन दिया जाएगा। इसके साथ ही दूसरे साल से हर साल एक प्रतिशत प्रोत्साहन कम किया जाएगा और पांचवें साल तक योजना चलेगी।
योजना के तहत न्यूनतम 300 करोड़ रुपये निवेश की 14 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई थी। कपड़ा मंत्रालय ने समिति को सूचित किया है कि इसके तहत 10,518 करोड़ रुपये प्रस्तावित निवेश से 98,088 नौकरियों का सृजन होगा। साथ ही न्यूनतम 100 करोड़ रुपये निवेश की 50 परियोजनाओं को मंजूरी दी गई है, जिसमें 9,280 करोड़ रुपये का निवेश होगा और इनमें 1,47,274 नौकरियों का सृजन होगा।
टेक्निकल टेक्सटाइल बढ़ती तकनीक वाला क्षेत्र है। समिति ने मंत्रालय से कहा है कि वह टेक्निकल टेक्सटाइल के विकास और विस्तार की कवायद तेज करे। समिति ने कहा है, ‘समिति चाहती है कि मंत्रालय पीपीपी मॉडल की व्यवहार्यता की संभावना तलाशे और वैश्विक कारोबारियों के साथ रणनीतिक बाजार हिस्सेदारों को जोड़े, जिससे कि तकनीकी जानकारी हासिल हो सके। साथ ही स्वदेशी उद्योग विकसित किए जाने की संभावनाओं की तलाश की जाए, जिससे कि बदलता भारत टेक्निकल टेक्सटाइल का वैश्विक विनिर्माण केंद्र बन सके।
श्रम, टेक्सटाइल और कौशल विकास पर बनी संसद की स्थायी समिति ने मानव निर्मित टेक्सटाइल में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर शुल्क को तर्कसंगत बनाए जाने की जरूरत पर जोर दिया है, जिससे उल्टे शुल्क ढांचे को ठीक किया जा सके। जीएसटी परिषद ने एक साल पहले इसी तरह के फैसले को पलट दिया था।
मानव निर्मित फाइबर के विकास पर अपनी रिपोर्ट में समिति ने कहा है कि मानव निर्मित फाइबर (एमएमएफ) के विभिन्न चरणों में इस समय अलग अलग जीएसटी ढांचा बना हुआ है, जो भारत के टेक्सटाइल और अपैरल उद्योग की राह में व्यवधान है। समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है, ‘समिति का दृढ़ विचार है कि मानव निर्मित टेक्सटाइल में इस्तेमाल होने वाले कच्चे माल पर शुल्क को तार्किक बनाने की जरूरत है।
अलग अलग शुल्क दरों और उल्टे शुल्क ढांचे की वजह से भारत के टेक्सटाइल और अपैरल उद्योग की राह में व्यवधान आ रहा है। इससे इस क्षेत्र को अपने वैश्विक प्रतिस्पर्धियों से प्रतिस्पर्धा में दिक्कत हो रही है। इसलिए समिति अनुरोध करती है कि मंत्रालय इस मामले को उचित मंच पर उठाए।’
पिछले साल सितंबर में जीएसटी परिषद की 45वीं बैठक में परिषद ने जीएसटी दरों में बदलाव करने का फैसला किया था, जिससे टेक्सटाइल सेक्टर के उल्टे शुल्क ढांचे को दुरुस्त किया जा सके। इसके बाद किसी मूल्य के टेक्सटाइल पर दरें बढ़कर 12 प्रतिशत हो गईं और यह 1 जनवरी 2022 से लागू होना था। 
 

First Published : October 5, 2022 | 10:25 PM IST