सरकार ने हाल ही में संसद द्वारा पारित श्रम संहिता के तहत मसौदा नियमों का पहला प्रारूप सार्वजनिक कर दिया है। इसका मकसद कंपनियों को समय से छंटनी, कामबंदी और कारोबार बंद करने के लिए समय से अनुमति प्रदान करना है।
मसौदा औद्योगिक संबंध (केंद्रीय) नियम, 2020 में केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय ने फॉर्मों की संख्या 30 से घटाकर 12 करने का प्रस्ताव किया है, जिसे लोगों की प्रतिक्रिया के लिए 30 दिन के लिए सार्वजनिक किया गया है। सरकार ने मजदूर संगठनों और नियोक्ताओं दोनों को ही निर्धारित डिजिटल पोर्टल या ईमेल के माध्यम से अनुमति लेने की सुविधा देने का प्रस्ताव किया है।
श्रम मंत्रालय के एक अधिकारी ने नाम न दिए जाने की शर्त पर कहा, ‘डिजिटलीकरण से यह सुनिश्चित हो सकेगा कि चाहे वह हड़ताल के लिए नोटिस का मामला हो, मजदूरों की शिकायत हो, फैक्टरियों द्वारा लॉकडाउन हो, छंटनी या आंशिक छंटनी की अनुमति हो या कंपनियों द्वारा बंदी, इसकी अनुमति समय से मिलने के साथ हर कदम पर कार्रवाई देखी जा सकेगी।’
कम से कम 300 कर्मचारियों वाली विनिर्माण फर्मों को छंटनी के लिए केंद्र सरकार से कम से कम 15 दिन पहले, कामबंदी के लिए 60 दिन पहले और बंदी के लिए 90 दिन पहले अनुमति लेनी होगी। सरकार को 90 दिन के भीतर प्रतिक्रिया देनी होगी और ऐसा न करने पाने पर उसे मंजूरी माना जाएगा। 300 से कम कर्मचारियों वाली फर्मों को किसी अनुमति की जरूरत नहीं होगी, लेकिन उन्हें छंटनी या बंदी के क्रमश: 30 दिन और 60 दिन पहले सरकार को सूचित
करना होगा।
सरकार ने छंटनी या कामबंदी के समय नियोक्ताओं से मांगी जाने वाली सूचनाओं को भी घटा दिया गया है। उदाहरण के लिए उससे सभी कामगारों के आवासीय पते और उनकी ड्यूटी के बारे में नहीं पूछा जाएगा। इसके बदले उन्हें कर्मचारी के भविष्य निधि खाते का यूनिवर्सल एकाउंट नंबर बताना होगा। बहरहाल कंपनी को प्रभावित कामगारों की मजदूरी और कौशल की श्रेणी का उल्लेख करना पड़ेगा।
मसौदा नियमों के मुताबिक छंटनी का शिकार हुए कामगारों को ‘री-स्किलिंग फंड’ के तहत अंतिम मासिक वेतन के 15 दिन की राशि के बराबर धन मिलेगा। नियोक्ता को छंटनी के 10 दिन के भीतर यह राशि फंड में ट्रांसफर करनी होगी। इस फंड का प्रबंधन केंद्र सरकार करेगी और वह 45 दिन के भीतर वह इस राशि को प्रभावित कर्मचारी को ट्रांसफर करेगी।
मसौदा नियम में कहा गया है, ‘कर्मचारी इस राशि का इस्तेमाल अपने री-स्किलिंग में कर सकेंगे। नियोक्ता छंटनी के शिकार हुए हर कर्मचारी का नाम, हर कर्मचारी के अंतिम वेतन के 15 दिन के बराबर की राशि के साथ उसके बैंक खाते का ब्योरा देगा, जिससे केंद्र सरकार संबंधित व्यक्ति के खाते में राशि का स्थानांतरण कर सके।’
विशेषज्ञों का कहना है कि ये नियम इलेक्ट्रॉॉनिक ऐप्लीकेशंस पर बहुत ज्यादा निर्भर हैं, जिससे कर्मचारियों क समस्या हो सकती है।
एक्सएलआरआई के प्रोफेसर और श्रम अर्थशात्री केआर श्याम सुंदर ने कहा, ‘नियम के तीन पहलू हैं- सभी पक्ष तकनीकी रूप से दक्ष हैं और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों तक उनकी पहुंच है और इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था या वेबसाइट्स के बारे में तगड़े प्रकृति के हैं। बेहतर यह होगा कि विकल्प के रूप में संचार की गैर इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था मुहैया कराई जाए और धीरे धीरे ई-सिस्टम की ओर बढ़़ा जाए।’ उन्होंने कहा कि हर दस्तावेज पर हस्ताक्षर की जरूरत होगी, इसलिए इसके लिए इलेक्ट्रॉनिक सिग्नेचर या स्कैनिंग मशीन की जरूरत होगी।
