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औद्योगिक उत्पादन चालू वित्त वर्ष में तीसरी बार गिरा

Last Updated- December 10, 2022 | 7:38 PM IST

औद्योगिक उत्पादन में लगातार दूसरे महीने गिरावट दर्ज हुई और जनवरी के दौरान औद्योगिक उत्पादन में 0.5 फीसदी की गिरावट दर्ज हुई जिससे लगता है कि प्रोत्साहन पैकेज, विनिर्माण और खनन को अब तक प्रभावित करने में असमर्थ रहा है।
पिछले साल जनवरी में औद्योगिक उत्पादन में 6.2 फीसदी की वृध्दि दर्ज की गई थी। पिछले 16 साल में यह पहला मौका है कि जब औद्योगिक उत्पादन में लगतार दो महीने कमी आई। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान सितंबर में वैश्विक संकट के गहराने के बाद अक्टूबर में औद्योगिक गतिविधियों में गिरावट दिख रही है।
बीच में नवंबर में औद्योगिक उत्पादन में हल्की बढ़ोतरी एक किस्म का विपथन थी जबकि अक्तूबर, दिसंबर और जनवरी में इसमें कमी दर्ज हुई है। औद्योगिक उत्पादन सूचकांक ‘आईआईपी’ में 80 फीसदी का वजन रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र के उत्पादन में जनवरी के दौरान 0.8 फीसदी गिरावट दर्ज हुई और खनन क्षेत्र का उत्पादन 0.4 फीसदी गिरा।
इधर बिजली उत्पादन में 1.8 फीसदी की बढ़ोतरी हुई हालांकि यह पिछले साल दर्ज वृध्दि दर 3.7 फीसदी से कम है। इससे साफ स्पष्ट है कि प्रोत्साहन पैकेज ने उद्योग को अपेक्षित प्रोत्साहन नहीं दिया है। सरकार के प्रमुख सांख्यिकीकार प्रणव सेन ने कहा तीनों प्रोत्साहन पैकेज का अभी असर नहीं हुआ है। औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों में उनका असर नहीं झलक रहा है।
दिसंबर में औद्योगिक उत्पादन में उतनी कमी दर्ज नहीं हुई जितना कि पिछले महीने शुरूआती अनुमानों में दिखाया गया था। संशोधित आंकड़ों से स्पष्ट है कि उत्पादन में 0.63 फीसदी की कमी आई न कि दो फीसदी जैसा कि शुरूआती अनुमान में स्पष्ट किया गया था। संशोधित आंकड़ा यह उम्मीद जगाता है कि जनवरी का भी आंकड़ा बेहतर होगा।
सेन ने कहा पिछले तीन चार महीनों के रूख के मद्देनजर यह जनवरी का आंकड़ा संशोधित अनुमान में बढ़ सकता है। विशिष्ट उद्योगों के मामले में 17 में से 12 खंडों की वृध्दि दर में जनवरी के दौरान कमी आई है। सबसे अधिक विनिर्मित खाद्य पदार्थों के उत्पादन में 16.1 फीसदी की कमी आई जिसके बाद लकड़ी व लकड़ी के उत्पादों में 15.2 फीसदी का और परिवहन उपकरणों एवं कलपुर्जों में 13.4 फीसदी गिरावट का नंबर है।
हालांकि परिवहन के अलावा अन्य मशीनरी एवं उपकरणों के उत्पादन में सकारात्मक वृध्दि दर्ज हुई। राजकोषीय पैकेज उद्योग को प्रोत्साहित करने में असफल रहा है जिसके कारण अर्थशास्त्री इस बारे में आश्वस्त नहीं हैं कि क्या सिर्फ आरबीआई द्वारा नकदी का प्रवाह बढ़ाने की कोशिश से ही मांग बढ़ेगी जबकि चुनावी आचार संहिता लागू होने के मद्देनजर सरकार पर और ऐसे कदमों की घोषणा पर पाबंदी है।

First Published - March 12, 2009 | 5:30 PM IST

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