अर्थव्यवस्था

India’s Trade Data: जून में क्यों धीमी पड़ गई भारत के निर्यात की रफ्तार, व्यापार घाटा भी हुआ कम

भारत के कुल निर्यात में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी वाले पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 18 प्रतिशत कम होकर 5.52 अरब डॉलर रह गया है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- July 15, 2024 | 10:08 PM IST

विदेश से मांग ठहर जाने के कारण भारत के वस्तु निर्यात की वृद्धि दर पिछले साल की समान अवधि की तुलना में जून में घटकर 2.6 प्रतिशत रह गई है, जो मई में 13.5 प्रतिशत थी। वाणिज्य विभाग की ओर से सोमवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक मूल्य के हिसाब से जून में निर्यात घटकर 7 महीने के निचले स्तर 35.2 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।

पेट्रोलियम उत्पादों, इलेक्ट्रॉनिक सामान, धातुओं व कुछ अन्य के आयात में तेजी के कारण वस्तु आयात 4.9 प्रतिशत बढ़कर 56.18 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। इस तरह जून में व्यापार घाटा कम होकर 20.98 अरब डॉलर रह गया है, जो मई महीने में 7 महीने के उच्च स्तर 22 अरब डॉलर पर था। लेकिन यह पिछले साल जून के 19.2 अरब डॉलर की तुलना में बढ़ा है।

वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा कि अगर वैश्विक महंगाई दर गिरती है और वृद्धि बरकरार रहती है तो व्यापार भी बना रहेगा। बहरहाल मौजूदा भूराजनीतिक टकरावों या किसी संभावित नए टकराव को लेकर भारत सतर्क रहेगा।

बड़थ्वाल ने संवाददाताओं से कहा, ‘मौजूदा स्थिति के मुताबिक चालू वित्त वर्ष के दौरान हमारा कुल निर्यात (वस्तु और सेवाओं को मिलाकर) 800 अरब डॉलर के पार होगा। तिमाही आंकड़े बहुत आशावादी हैं। सेवाओं का निर्यात सतत बढ़ रहा है।’

पेट्रोलियम और रत्न एवं आभूषण के निर्यात को छोड़कर शेष निर्यात के सेहतमंद होने के संकेत मिलते हैं, जो 8.5 प्रतिशत बढ़कर 27.43 अरब डॉलर हो गया है। वृद्धि के मुख्य चालक इंजीनियरिंग के सामान (10.27 प्रतिशत), इलेक्ट्रॉनिक सामान (16.91 प्रतिशत), ड्रग्स ऐंड फॉर्मास्यूटिकल्स (9.93 प्रतिशत), कार्बनिक और अकार्बनिक रसायन (3.32 प्रतिशत) और टेक्सटाइल्स (3.68 प्रतिशत) हैं।

बड़थ्वाल ने कहा, ‘अगर आप हमारी रणनीति पर नजर डालें तो हम महत्त्वपूर्ण 20 देशों पर ध्यान दे रहे हैं। हम अर्थव्यवस्था के 6 प्रमुख सेक्टर पर नजर रख रहे हैं। इस तरह से हम इन सेक्टर और इन अर्थव्यवस्थाओं में वृद्धि का लाभ ले सकते हैं।’

बहरहाल भारत के कुल निर्यात में 15 प्रतिशत हिस्सेदारी वाले पेट्रोलियम उत्पादों का निर्यात पिछले साल की समान अवधि की तुलना में 18 प्रतिशत कम होकर 5.52 अरब डॉलर रह गया है।

पेट्रोलियम की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में तेजी के बावजूद ऐसा हुआ है। जून 2023 के 74.93 डॉलर प्रति बैरल की तुलना में अंतरराष्ट्रीय पेट्रोलियम की कीमत बढ़कर जून 2024 में 82.55 डॉलर प्रति बैरल हो गई है।

इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा कि तेल में घाटा बढ़ने के कारण जून में भारत का वस्तु निर्यात घाटा पिछले साल की तुलना में बढ़ा है।

नायर ने कहा, ‘निर्यात की तुलना में आयात में थोड़ी तेज वृद्धि के कारण वस्तु निर्यात घाटा वित्त वर्ष 2025 की पहली तिमाही में बढ़कर 62.3 अरब डॉलर हो गया है, जो एक साल पहले की समान अवधि में 56.2 अरब डॉलर था। इसकी वजह से भारत का चालू खाते का घाटा जीडीपी का 1.4 प्रतिशत होने की संभावना है, जो वित्त वर्ष 2024 की पहली तिमाही में 1 प्रतिशत था। यह वित्त वर्ष 2024 की चौथी तिमाही में देखे गए जीडीपी के 0.6 प्रतिशत अस्थायी अधिशेष की स्थिति से सुधार है।’

जून महीने में सेवाओं का निर्यात 8.9 प्रतिशत बढ़कर 30.27 अरब डॉलर हो गया है, जबकि आयात 10.7 प्रतिशत बढ़कर 17.29 अरब डॉलर हुआ है। इसकी वजह से सेवा क्षेत्र में 12.98 अरब डॉलर का अधिशेष है।

फियो के अध्यक्ष अश्वनी कुमार ने कहा कि इस समय ब्याज सहायता और ब्याज समानीकरण योजना को 5 साल तक आगे बढ़ाने के जरिये नकदी के मोर्चे पर कदम उठाया जाना वक्त की जरूरत है।

First Published : July 15, 2024 | 10:08 PM IST