वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज कहा कि अमेरिका से बातचीत किस तरह आगे बढ़ती है और इसके क्या परिणाम आते हैं, उस पर भारत को नजर रखनी होगी। यह टिप्पणी सीतारमण ने द्विपक्षीय व्यापार वार्ता के लिए वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल की अमेरिका यात्रा के मद्देनजर की है।
सीतारमण ने विशाखापत्तनम में आयोजित एक कार्यक्रम में बताया, ‘हमारे निर्यातकों के हितों से वाणिज्य मंत्रालय बखूबी वाकिफ है, लिहाजा हमें देखना होगा कि मंत्रालय द्विपक्षीय बातचीत को किस तरह से आगे लेकर जा रहा है। हम सभी भारतीय निर्यातकों के हितों की रक्षा के लिए नियमित रूप से सूचना और जानकारी साझा कर रहे हैं।’
अमेरिका ने भारत और अन्य देशों पर बराबरी का शुल्क लगाने की धमकी दी है। मगर भारत इससे छूट चाहता है और व्यापार समझौते के जरिये एक-दूसरे के उत्पादों को अपने बाजार में अधिक पहुंच देने की उसकी योजना है। अमेरिका यदि जवाबी शुल्क लगाता है तो भारत के कारोबारियों को नुकसान पहुंचना तय है। ऐसे माहौल में ट्रंप सरकार के प्रमुख अधिकारियों से गोयल की पहली मुलाकात होगी। दोनों देशों के बीच वित्त वर्ष 24 में द्विपक्षीय वस्तु व्यापार करीब 120 अरब डॉलर था।
आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने विशाखापत्तनम में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि भारत को निर्यात को अपनी ताकत बनाने की जरूरत है। निर्यात देश के लिए वृद्धि का इंजन बनेगा। सेठ ने कहा, ‘हमें अपने निर्यात को मजबूत करना है। जो निर्यातक अपने संयंत्र का विस्तार करना चाहते हैं, उन्हें आसानी से और बड़ी मात्रा में ऋण देकर मदद करने की जरूरत है।
हमें प्रक्रियागत अनुपालन और प्रक्रियाओं में कटौती करने की जरूरत है, ताकि कंपनियां अधिक उत्पादन व आपूर्ति पर ध्यान केंद्रित कर सकें।’ इस मौके पर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के चेयरमैन रवि अग्रवाल ने पुरानी कर व्यवस्था को हटाए जाने पर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि कर ढांचे को आसान बनाने के लिए नई कर व्यवस्था बड़ा
कदम है।