भारत आईटी उत्पादों पर विश्व व्यापार संगठन (WTO) के प्रावधान के खिलाफ अपनी चिंताओं को यूरोपियन यूनियन (EU) के समक्ष द्विपक्षीय वार्ता के दौरान उठाएगा। भारत ने आईटी उत्पादों के आयात पर शुल्क लगा रखा था। इसके खिलाफ कुछ हफ्ते पहले WTO ने फैसला सुनाया था।
सरकार ने यूरोपियन यूनियन (EU) से द्विपक्षीय बातचीत शुरू कर दी है। सरकार के अनुसार आईटी पर आयात शुल्क लगाए जाने से EU ज्यादातर प्रभावित नहीं हुआ है। सरकार के मुताबिक, आईटी उत्पादों के आयात जैसे मोबाइल फोन, टेलीफोन हैंडसेसट और अन्य उत्पादों का आयात इस ट्रेड ब्लॉक से अधिक नहीं है।
वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक भारत ने कैलेंडर साल 2022 में ईयू से कुल आयात में सूचना व संचार तकनीक के उत्पादों (ICT) की हिस्सेदारी केवल 3.03 प्रतिशत थी और इनकी अनुमानित कीमत 5.5 करोड़ डॉलर थी। यह मामला भारत-ईयू व्यापार व तकनीक परिषद की बैठक में भी उठाया जाएगा।
सरकारी अधिकारी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया कि बातचीत के लिए कई प्लेटफॉर्म हैं – व्यापार व तकनीक परिषद, WTO की समिति स्तरीय बैठक हैं। दोनों पक्ष अलग-अलग विकल्पों को तलाश रहे हैं। लेकिन अभी तक कुछ भी ठोस हासिल नहीं हुआ है। ’
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दोनों पक्षों में द्विपक्षीय बातचीत और संभावित हल मिलने की स्थिति में कारोबार पर बढ़ती चिंताओं पर विराम लग सकता है। ईयू, जापान और चीनी ताइपे की शिकायत पर WTO के पैनल ने बीते माह फैसला दिया था कि भारत ने आईटी उत्पादों जैसे मोबाइल फोन, उसके यंत्रों और टेलीफोन हैंडसेट पर आयात शुल्क लगाकर वैश्विक व्यापार के मानदंडों का उल्लंघन किया था।
इस बारे में भारत ने दलील दी थी कि आईटी उत्पादों पर ड्यूटी लगाना ‘कानूनी रूप से वैध’ हैं। ये उत्पाद 1996 के सूचना तकनीक समझौते-1 (आईटीए-1) की सीमा के अंतर्गत नहीं आते हैं। इसका कारण यह है कि जब इस समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे, तब स्मार्टफोन जैसे उत्पादों का अस्तित्व नहीं था। लिहाजा भारत इन उत्पादों पर शुल्क हटाने के लिए बाध्य नहीं है।