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ट्रंप शुल्क और व्यापारिक उथल-पुथल के कारण पैदा हुई वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत नीतिगत चुस्ती और दीर्घकालिक नजरिये के साथ चुनौतियों से निपटेगा। यह बात वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज बंबई स्टॉक एक्सचेंज (बीएसई) की 150वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कही।
सीतारमण ने शुल्क जंग के कारण पैदा हुए जोखिमों को स्वीकार किया, लेकिन भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था पर भरोसा भी जताया। उन्होंने कहा कि दुनिया एक ऐसे दौर से गुजर रही है जहां व्यापार नए सिरे से संतुलित हो रहा है। उन्होंने कहा कि भारत इन वैश्विक चुनौतियों से अछूता नहीं है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि भारत अपनी नीतिगत चुस्ती और दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ उससे निपट लेगा।
सीतारमण ने कहा, ‘भारत को पूरा भरोसा है कि हम नीतिगत चुस्ती और दीर्घकालिक दृष्टि के साथ वैश्विक उथल-पुथल के इस दौर से निपट लेंगे। हमारा ध्यान दमदार घरेलू बुनियाद तैयार करने पर है। उसे बुनियादी ढांचे के निर्माण, समावेशी विकास और व्यापक क्षेत्रीय सहयोग के जरिये मजबूत किया जाएगा। इससे हमें न केवल बाहरी झटकों से निपटने में मदद मिलेगी बल्कि हमारी दीर्घकालिक वृद्धि आकांक्षाओं को भी रफ्तार मिलेगी।’
वित्त मंत्री ने आगाह किया कि शुल्क जंग में तेजी और संरक्षणवाद के कारण वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला बाधित हो सकती है। इससे न केवल उत्पादन लागत में इजाफा होगा बल्कि सीमा पार निवेश के लिए भी अनिश्चितताएं पैदा हो सकती हैं। वित्त मंत्री ने कहा कि आज दुनिया में उतार-चढ़ाव, अनिश्चितता, जटिलता और कुछ भी स्पष्ट न होने का दौर है। उन्होंने कहा कि इतना तो तय है कि भारतीय अर्थव्यवस्था की बुनियादी स्थिति मजबूत है और अर्थव्यवस्था व्यापक आर्थिक विवेक से प्रबंधित की जा रही है। उन्होंने कहा, ‘हम निवेशकों को नीतिगत स्थिरता, वृद्धि, प्रशासन एवं नवाचार, वृहद आर्थिक विवेकपूर्ण नीति और लोकतांत्रिक संस्थान उपलब्ध कराते हैं।’
सीतारमण ने जोर देकर कहा कि सरकार ने वित्त वर्ष 2026 के बजट का मसौदा तैयार करते समय इन बदलावों का अनुमान लगाया था। उन्होंने कहा कि घरेलू कुशलता और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देना आर्थिक मजबूती की कुंजी है। उन्होंने भारत के मजबूत नियामकीय ढांचे की भी सराहना की जिसने वैश्विक उथल-पुथल के बावजूद लगातार विदेशी और घरेलू निवेश आकर्षित किया है।
बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) के चेयरपर्सन तुहिन कांत पांडेय भी इस समारोह में मौजूद थे। उन्होंने पारदर्शिता एवं दक्षता के मामले में भारत के पूंजी बाजारों द्वारा स्थापित वैश्विक मानदंडों को रेखांकित किया और टी+1 निपटान जैसी प्रगति का हवाला दिया। उन्होंने बाजार संस्थानों से अल्पकालिक वाणिज्यिक लाभ के बजाय बेहतर प्रशासन, खुलासे और लोगों के भरोसे को प्राथमिकता देने का आग्रह किया। पांडेय ने कहा, ‘संकीर्ण व्यावसायिक उद्देश्यों को कभी भी सार्वजनिक हित से ऊपर नहीं होना चाहिए।’
इससे पहले दिन में सीआईआई कॉरपोरेट गवर्नेंस समिट में पांडेय ने नैशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के आईपीओ पर चिंताओं के बारे में कहा कि सेबी वाणिज्यिक हितों को जन कल्याण पर हावी नहीं होने देगा। नियामक ने आईपीओ प्रस्ताव की समीक्षा के लिए एक आंतरिक समिति का गठन किया है।
पांडेय ने जेनसोल जैसे मामलों में सेबी की सख्त कार्रवाई का हवाला देते हुए कहा कि गलत कार्यों को जड़ से खत्म करना जरूरी है। उन्होंने कंपनी जगत में खुद ही बेहतर नियमन की पहल करने का आह्वान किया।