भारत ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते से फुटवियर और कपड़ा जैसे भारत के श्रम केंद्रित क्षेत्रों को बल मिलने की उम्मीद है। उद्योग के अनुमान के मुताबिक इस समझौते से टेक्सटाइल और अपैरल उद्योग में करीब 7,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त कारोबार मिल सकता है। साथ ही इससे 2030 तक 100 अरब डॉलर के निर्यात के लक्ष्य की ओर बढ़ा जा सकेगा। इसी तरह से फुटवियर (चमड़ा व गैर चमड़ा) और अन्य चर्म उत्पादों का कारोबार 2 साल में 1 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है, जो अभी 44 करोड़ डॉलर है। इस समझौते से क्लार्क्स, सुपरड्राई, मर्क्स ऐंड स्पेंसर (एमऐंडएस) और जॉन लॉब जैसे फुटवियर ब्रॉन्डों को बढ़ावा मिलने की संभावना है।
कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन टेक्सटाइल इंडस्ट्रीज (सीआईटीआई) के चेयरमैन राकेश मेहरा ने कहा, ‘इसमें पूरे भारतीय वस्त्र क्षेत्र के भाग्य को बदलने की क्षमता है। इससे भारत के वस्त्र निर्यात क्षेत्र को बल मिलेगा और भारत 2030 तक 100 अरब डॉलर के वस्त्र व परिधान निर्यात के महत्त्वाकांक्षी लक्ष्य को हासिल कर सकेगा।’
तिरुपुर एक्सपोर्टर्स एसोसिएशन को भी उम्मीद है कि एफटीए के माध्यम से तिरुपुर से ब्रिटेन को निर्यात 5,000 करोड़ रुपये या 9 प्रतिशत से दोगुना होकर तिरुपुर के कुल राजस्व का लगभग 20 प्रतिशत हो जाएगा।
इंडियन टेक्सप्रेन्योर्स फेडरेशन (आईटीएफ) के संयोजक प्रभु दामोदरन ने कहा, ‘मूल्य श्रृंखला में भारत की मजबूत मौजूदगी है, जिसमें तैयार कच्चा माल, मध्यस्थ वस्तुएं और निर्यात पर मामूली निर्भरता शामिल है। एफटीए के तहत शुल्क मुक्त होने के लाभ से भारत अपना निर्यात बढ़ाने में पूरी तरह सक्षम है। उद्योग ने अगले 2 साल में ब्रिटेन के बाजार में हिस्सेदारी 6 प्रतिशत से बढ़ाकर 10 प्रतिशत करने का लक्ष्य रखा है।