आयात और निर्यात में गिरावट के कारण देश से वस्तुओं का व्यापार घाटा फरवरी में घटकर 14.05 अरब डॉलर रहा जो करीब साढ़े तीन साल में सबसे कम है। वैश्विक बाजार में पेट्रोलियम के दाम घटने और अमेरिका की व्यापार नीतियों से आर्थिक अनिश्चितता बढ़ने के कारण व्यापार में गिरावट आई है। पिछले साल फरवरी में देश का व्यापार घाटा 19.52 अरब डॉलर था।
वाणिज्य विभाग द्वारा आज जारी आंकड़ों से पता चलता है कि फरवरी में निर्यात 10.9 फीसदी घटकर 36.91 अरब डॉलर रहा, जो 20 महीने में सबसे कम है। वाणिज्य विभाग के अधिकारियों ने कहा कि उच्च आधार के कारण निर्यात में ज्यादा गिरावट दिख रही है। पिछले साल फरवरी में 41.4 अरब डॉलर का निर्यात हुआ था। आयात भी इस दौरान 16.3 फीसदी घटकर 50.96 अरब डॉलर रहा। आयात में 20 महीने में सबसे तेज गिरावट आई है और पिछले 11 महीने में पहली बार आयात में गिरावट दिखी है। फरवरी में तेल का आयात 29.6 फीसदी घटकर 11.9 अरब डॉलर रहा। सोने का आयात भी 62 फीसदी घटकर 2.3 अरब डॉलर रहा।
भारत के व्यापारिक निर्यात की स्थिति आगे भी अनिश्चित दिख रही है क्योंकि अमेरिका 2 अप्रैल से व्यापार भागीदार देशों पर बराबरी शुल्क लगाने की योजना बना रहा है। अमेरिका पहले ही स्टील और एल्युमीनियम आयात पर 25 फीसदी शुल्क लगा चुका है। शुल्क की आशंका के मद्देनजर अमेरिका में आयातक ऑर्डर रोक रहे हैं, जिससे निर्यातकों की चिंता बढ़ गई है।
भारत के निर्यात में गिरावट अन्य उभरती अर्थव्यवस्थाओं के बीच असामान्य दिखता है। चीन का निर्यात जनवरी-फरवरी के दौरान 7.1 फीसदी बढ़ा है जबकि वियतनाम से निर्यात 8.4 फीसदी बढ़ा है। वाणिज्य सचिव सुनील बड़थ्वाल ने कहा कि वित्त वर्ष 2025 कठिन साल रहा मगर चालू वित्त वर्ष में वस्तुओं और सेवाओं का कुल निर्यात 800 अरब डॉलर रह सकता है। पिछले वित्त वर्ष में 778 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था।
फरवरी में पट्रोलियम और रत्न एवं आभूषण से इतर वस्तुओं का निर्यात 5 फीसदी घटकर 28.57 अरब डॉलर रहा। रत्न एवं आभूषण का निर्यात 20.7 फीसदी, दवा निर्यात 1.5 फीसदी और रसायनों का निर्यात 24.5 फीसदी घटा है।
इक्रा की मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नायर ने कहा, ‘पिछले साल फरवरी के उच्च आधार के कारण निर्यात में ज्यादा गिरावट आई है। व्यापार घाटा चालू वित्त वर्ष के पहले 10 महीनों के औसत 23 अरब डॉलर से भी कम रहा है। चौथी तिमाही में चालू खाता में 5 अरब डॉलर का अधिशेष रहने का अनुमान है।’
निर्यातकों के संगठन फियो के अध्यक्ष अश्विनी कुमार ने कहा कि शुल्क जंग के कारण निर्यातकों को चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। आयात में तेज गिरावट से संकेत मिलता है कि विदेशी वस्तुओं की मांग घटी है जो घरेलू उद्योग के विकास के लिए एक अवसर है। फरवरी में सेवाओं का निर्यात 23.6 फीसदी बढ़कर 35.03 अरब डॉलर रहा।