अर्थव्यवस्था

भारत की GDP जून तिमाही में रह सकती है धीमी, मार्च के मुकाबले घटकर 6.5% पर आने का अनुमान

औद्योगिक उत्पादन में कमी और शहरी मांग कमजोर होने से भारत की जीडीपी वृद्धि जून तिमाही में सुस्त रही, हालांकि ग्रामीण खपत और सरकारी पूंजीगत व्यय ने सहारा दिया।

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शिवा राजौरा   
Last Updated- August 22, 2025 | 10:19 PM IST

भारत की आर्थिक वृद्धि की रफ्तार वित्त वर्ष 2026 की जून तिमाही में जनवरी-मार्च से धीमी पड़ सकती है। नियमित अंतराल पर आने वाले आंकड़े इसी तरफ इशारा करते हैं। हालांकि एक तिमाही पहले यानी वित्त वर्ष 2025 की मार्च तिमाही में यह चार तिमाहियों के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी। मुख्य तौर पर औद्योगिक उत्पादन में कमी और शहरी मांग में नरमी से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार पर ब्रेक लग सकता है। मगर अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए दंडात्मक शुल्क के प्रभावी होने से पहले की तिमाही में वृद्धि दर को बेहतर ग्रामीण गतिविधियों, दमदार सरकारी व्यय और अमेरिका को निर्यात बढ़ने से बल मिलने की उम्मीद है।

जून तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के लिए अर्थशास्त्रियों के अनुमान 6.3 से 7 फीसदी के बीच रहे हैं। वित्त वर्ष 2025 की मार्च तिमाही में जीडीपी वृद्धि 7.4 फीसदी रही जबकि वित्त वर्ष 2025 की जून तिमाही में भारत की आर्थिक वृद्धि 6.5 फीसदी दर्ज की गई। भारतीय रिजर्व बैंक ने 6 अगस्त को अपनी द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के लिए 6.5 फीसदी जीडीपी वृद्धि का अनुमान लगाया है।

राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही के लिए जीडीपी के अनंतिम आंकड़े 29 अगस्त को जारी करेगा।

इस बीच, कृषि क्षेत्र का प्रदर्शन दमदार रहने की उम्मीद है जिससे ग्रामीण मजदूरी एवं खपत में तेजी आएगी। एक साल पहले हुए आम चुनाव के कारण आधार कम रहने से भी तिमाही के दौरान सरकारी पूंजीगत व्यय में तेजी दिखी है।

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नियमित अंतराल पर आने वाले आंकड़ों जैसे औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (1.8 प्रतिशत), विनिर्माण पर्चेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स (58.2), बिजली की मांग (2.7 प्रतिशत) और उद्योग जगत को ऋण वृद्धि दर (5.43 प्रतिशत) में जून तिमाही के दौरान नरमी देखी गई है। एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार भारतीय उद्योग जगत में लगभग 4,300 सूचीबद्ध कंपनियों की ब्याज, कर एवं मूल्य ह्रास पूर्व आय (एबिटा) में वृद्धि दर वित्त वर्ष 2026 की पहली तिमाही में लगभग 6.7 प्रतिशत दर्ज की गई, जो पिछली यानी वित्त वर्ष 2025 की चौथी तिमाही में लगभग 12 प्रतिशत रही थी।

हालांकि, जून तिमाही में केंद्र एवं राज्य सरकारों का पूंजीगत व्यय क्रमशः 26.5 प्रतिशत और 23.8 प्रतिशत बढ़ा है। डीबीएस बैंक में वरिष्ठ अर्थशास्त्री राधिका राव ने कहा कि जून तिमाही में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहनी चाहिए मगर यह पिछली तिमाही के मुकाबले थोड़ी कमजोर रह सकती है।

कोटक महिंद्रा बैंक में मुख्य अर्थशास्त्री उपासना भारद्वाज ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों का प्रदर्शन दर्शाने वाले आंकड़ों का विश्लेषण जून तिमाही में कुल मिलाकर वृद्धि नरम रहने का संकेत दे रहा है। 

First Published : August 22, 2025 | 10:19 PM IST