देश में पिछले 18 साल में पहली बार जून महीने में मामूली कारोबार अधिशेष देखा गया है। हालांकि लगातार चौथे महीने वाणिज्यिक निर्यात में कमी जारी रही, हालांकि सिकुडऩ की दर पहले के 3 महीनों की तुलना में काफी कम है। जून महीने में निर्यात 21.91 अरब डॉलर और आयात 21.11 अरब डॉलर रहा, जिससे कारोबारी संतुलन के हिसाब से भारत के पक्ष में रहा और करीब 80 करोड़ डॉलर का अधिशेष हुआ।
भारत सामान्यतया शुद्ध आयातक होता है और इसके पहले जनवरी 2002 में 1 करोड डॉलर का कारोबारी अधिशेष रहा था। बहरहाल भारत सेवाओं का शुद्ध निर्यातक है। अगर सेवा के अनुमानित आंकड़ोंं को देखा जाए तो जून महीने में इसका अधिशेष 6.84 अरब डॉलर रहा है, जिसमें निर्यात 16.48 अरब डॉलर और आयात 9.64 अरब डॉलर है। अगर वस्तुओं और सेवाओं दोनों को मिला दें तो भारत का अधिशेष जून महीने में 7.64 अरब डॉलर है।
इस महीने में वाणिज्यिक वस्तुओं के निर्यात में 12.41 प्रतिशत की गिरावट आाी है। यह मई महीने की 36.47 प्रतिशत गिरावट और अप्रैल महीने की 60.28 प्रतिशत गिरावट की तुलना में बहुत कम है, जब लॉकडाउन तमाम क्षेत्रों से हटाया गया था।
पेट्रोलियम उत्पाद, टैक्सटाइल, इलेक्ट्रॉनिक सामान और इंजीनियरिंग के सामान के साथ अन्य वस्तुओं में संकुचन आया है। बहरहाल दवाओं व फार्मा के निर्याथ में करीब 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है, जो कोविड-19 को देखते हुए अहम है।
वहीं दूसरी तरफ आयात में जून महीने में 47.59 प्रतिशत की भारी गिरावट आई है। यह संकुचन भी पहले के महीने के 51.05 प्रतिशत और अप्रैल के 58.65 प्रतिशत की तुलना में कम है।
सोना, पेट्रोलियम उत्पाद, इंजीनियरिंग के सामान, कोयला और मशीनरी का आयात कम हुआ है।
जून महीने में गैर तेल, गैर स्वर्ण आयात 41.37 प्रतिशत कम हुआ है। इससे संकेत मिलता है कि औद्योगिक उत्पादन में तेजी आने की राह बहुत लंबी है। मई महीने में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक 34.7 प्रतिशत गिरा है, हालांकि यह गिरा3वट अप्रैल के 57.6 प्रतिशत की तुलना में कम है। गैर तेल और गैर स्वर्ण आयात औद्योगिक गतिविधियों का व्यापक संकेतक है।
हालांकि अर्थशास्त्री इस कारोबारी अधिशेष से उत्साहित नहीं हैं। इक्रा में मुख्य अर्थशास्त्री अदिति नैयर ने कहा, ‘इस कारोबारी अधिशेष की गणित अस्वीकार्य है, इसका असर घरेलू मांग की शक्ति पर दिख रहा है।’ उन्होंने कहा कि वाणिज्यिक वस्तुओं के आयात में संकुचन जून 2020 में व्यापक स्तर पर बना हुआ है, सिर्फ मेडिकल और फार्मास्यूटिकल जैसे कुछ उत्पादों को छोड़कर हर क्षेत्र में यही स्थिति है। इससे संकेत मिलता है कि घरेलू मांग अनलॉक के दौर में भी बहुत कम बनी हुई है।
पहली तिमाही में वाणिज्यिक वस्तुओं का निर्यात 51.32 अरब डॉलर रहा है, जो पिछले साल की समान तिमाही की तुलना में 36.7 प्रतिशत कम है, जबकि इस दौरान आयात 60.44 अरब डॉलर रहा, जिसमें 52.43 प्रतिशत गिरावट आई है। इस तरह से इस वित्त वर्ष की पहली तिमाही में व्यापार घाटा 9.12 अरब डॉलर रहा है, जो एक साल पहले के 45.96 अरब डॉलर की तुलना में करीब 80 प्रतिशत कम है।
अगर सेवाओं के 20.82 अरब डॉलर को जोड़ लें तो कुल अधिशेष पहली तिमाही में 11.79 अरब डॉलर होता है, जबकि पिछले साल की पहली तिमाही में 26.32 अरब डॉलर का घाटा हुआ था।
अगर चालू खाते का संतुलन देखा जाए तो रेमिटेंस भी शामिल होता है। बहरहाल नैयर ने कहा कि अभी चल रही अनिश्चितता की वजह से विदेश से धन आवक प्रभावित होगी। उन्होंने कहा, ‘इन विरोधी धारणाओं को संतुलित करके देखें तो हम उम्मीद करते हैं कि चालू खाता अधिशेष वित्त वर्ष 2021 की पहली तिमाही में करीब 14 से 16 अरब डॉलर होगा।’
