अर्थव्यवस्था

भारत और EU आईसीटी विवाद को हल करने के करीब

दोनों पक्षों के पास इस विवाद को हल करने के लिए 18 दिसंबर तक का समय है।

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श्रेया नंदी   
Last Updated- November 24, 2023 | 10:31 PM IST

भारत और यूरोपियन यूनियन (EU) विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में जारी सूचना संचार व प्रौद्योगिकी उत्पाद (आईसीटी) को हल करने के लिए सक्रिय रूप से विचार-विमर्श कर रहे हैं। उम्मीद यह की जा रही है कि दोनों पक्ष एक महीने में स्वीकार्य हल तक पहुंच जाएंगे।

इस मामले के जानकार व्यक्ति ने बिज़नेस स्टैंडर्ड को बताया, ‘हमें एक महीने से कम समय में (17 दिसंबर) दोनों पक्षों के लिए स्वीकार्य हल तक पहुंचने की उम्मीद है।’

EU, जापान और चीनी ताइपे ने डब्ल्यूटीओ में शिकायत की थी कि भारत ने आईटी उत्पादों जैसे मोबाइल फोन, उपकरणों, टेलीफोन के हैंडसेट पर आयात शुल्क लगाकर वैश्विक व्यापार मानदंडों का उल्लंघन किया है। इस पर डब्ल्यूटीओ के पैनल ने अप्रैल में शिकायतकर्ताओं देशों के पक्ष में फैसला सुनाया था।

भारत ने कहा था कि वह इस फैसले के खिलाफ अपील करेगा। अभी डब्ल्यूटीओ की सर्वोच्च अपील प्राधिकरण निष्क्रिय है। लिहाजा भारत के तर्क को शून्य में अपील माना गया।

डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक विवाद समाधान निकाय के फैसले के 60 दिनों में अपील की जा सकती है बशर्ते देशों में स्वीकार नहीं करने या लंबित करने पर सहमति हो।

भारत और EU ने जून में डब्ल्यूटीओ के विवाद समाधान निकाय से अपील को लंबित करने का अनुरोध किया था। यह 90 दिन की अवधि के दो खंडों में 180 दिन तक थी। लिहाजा दोनों पक्षों के पास इस विवाद का समाधान करने के लिए 18 दिसंबर तक का समय है।

भारत का इस विवाद के संबंध में यह मानना है कि आईटी शुल्क लगाए जाने से मुख्य तौर पर EU प्रभावित नहीं हुआ है। भारत के अनुसार इस व्यापार ब्लॉक से आईटी उत्पादों जैसे मोबाइल फोन, टेलीफोन हैंडसेट सहित अन्य उत्पादों का निर्यात अधिक नहीं होता है।

हालांकि भारत के घरेलू उद्योग की सस्ते चीनी उत्पादों से रक्षा के लिए प्रमुख तौर पर उच्च शुल्क लगाए गए थे। हालांकि दूसरी तरफ EU का दावा था कि इन उत्पादों पर शुल्क लगाए जाने के कारण भारत को होने वाला 60 करोड़ यूरो का व्यापार प्रभावित हुआ था।

First Published : November 24, 2023 | 10:31 PM IST