इसमें कोई शक नहीं कि इस वक्त विदेशी संस्थागत निवेशक ही डेरिवेटिव मार्केट के वास्तविक कागीगर हैं। इसका मुख्य कारण यह है कि वे संयुक्त रूप से 45 फीसदी के आसपास ग्रहण करते हैं। हालांकि बीते बुधवार तक इसे काफी सौहार्दपूर्ण समझा जा रहा था। बजट से इतर की बात करें तो बीते सप्ताह शेयर बाजार ने भी डूबकी लगाई थी।
उल्लेखनीय है कि बीते हफ्ते निफ्टी में एतिहासिक उतार-चढ़ाव देखने को मिला। लेकिन इस साल के मध्य-जनवरी में जितना कुछ देखा गया था, उससे थोड़ा कम ही था। बीते हफ्ते निफ्टी ने 2.65 फीसदी के आसपास कारोबार किया। अगर निफ्टी के पिछले आंकड़ों को देखें तो वह लगातार 3.25 फीसदी ऊपर गया है। इसका तात्पर्य यह हुआ कि प्रतिदिन 30 से 35 अनुक्रम की गिरावट के साथ सूचकांक निर्धारित किया गया। यह भी विदित है कि पिछले दिनों खुला ब्याज करीब 1.3 पर बंद हुआ। लिहाजा, 0.9 से भी कम अधिक्रय स्थिति के स्तर से वह तेजड़िया क्षेत्र में वापस आ गया। अगर शुरुआती समझौतों की बात करें तो खुला ब्याज, फ्यूचर एंड ऑपशन को पार कर गया था। वह उसके औसत स्तर से पार कर गया था। वे दोनों ही साकारात्मक थें।
उल्लेखनीय है कि नकदी निफ्टी 5,223.5 पर बंद हुआ था जबकि मार्च में यह 5,181 अंक पर बंद हुआ था। इसके साथ ही अप्रैल में 5,161 पर समझौता किया गया था और मई महीने में भी 5,161 पर बंद हुआ था। हालांकि मई महीने में एक बार फीर मंदड़िया देखने को मिला था। इसके अलावा, जूनियर का भी 9,587 अंक पर समझौता हुआ था। जबकि नकदी सूचकांक 9,636 पर बंद हुआ था। हालांकि अप्रैल और मई महीने में कोई खुला ब्याज नहीं था। सीएनएक्सआईटी 3984.5 पर बंद हुआ था जबकि फ्यूचर के साथ 3,960.1 पर समझौता किया गया था। अगर तकनीकी स्तर पर बात की जाए तो ज्यादातर इंडिसो व्यापारिक दायरे में बंद की गई थी। यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि अगले शुक्रवार तक बैंक निफ्टी में उछाल आ सकती है। हालांकि यह असत्य सा लगता है। क्योंकि बजट में 60 हजार करोड़ रुपये किसान कर्ज को माफ करने की बात की गई है।
